Kalka Shimla Toy Train में पहली बार एसी कोच का संचालन

Kalka Shimla Toy Train AC कोच का नया अवतार
117 साल पुरानी टॉय ट्रेन, जो ब्रिटिश शासन के दौरान शिमला की 'समर कैपिटल' के रूप में जानी जाती थी, अब एक नए रूप में सामने आने वाली है। पहली बार इस ऐतिहासिक ट्रैक पर एयर कंडीशंड कोच लगाए जाने की योजना बनाई गई है। नए कोच रेल कोच फैक्टरी कपूरथला में तैयार किए जा रहे हैं।
कोचों की संख्या और उनकी स्थिति
कपूरथला से कालका रेलवे स्टेशन पर 28 नए कोच पहुंच चुके हैं, जिन्हें क्रमिक रूप से पुराने कोचों के स्थान पर लगाया जाएगा। पहले चरण में 30 कोचों का वितरण किया जाएगा। यह टॉय ट्रेन, जो 1908 में लाहौर में डिजाइन की गई थी, अभी भी यूनेस्को हेरिटेज ट्रैक पर चल रही है। वर्तमान में, कालका से शिमला के लिए रोजाना 6 टॉय ट्रेनें संचालित होती हैं।
पुराने कोचों की समस्या
रेलवे अब पुराने कोचों को बदलने की प्रक्रिया में है, क्योंकि उनके पार्ट्स अब उपलब्ध नहीं हैं और अधिकांश कोच कंडम हो चुके हैं। उत्तर रेलवे कारखाना कालका में केवल कोचों की मरम्मत का कार्य चल रहा है।
नए कोच का वजन और डिजाइन
कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) द्वारा किए गए परीक्षण में पाया गया कि नए कोचों की लंबाई अधिक है। एसी और पैंट्री की वजह से इनका वजन लगभग 2 टन बढ़ गया है, जिससे पहाड़ी रास्तों पर चढ़ाई में कठिनाई हो सकती है।
टॉय ट्रेन में कोचों की संख्या में कमी
उत्तर रेलवे अंबाला डिवीजन के अधिकारी नए कोचों के साथ चलने वाली टॉय ट्रेन में एक कोच कम करने पर विचार कर रहे हैं। नए सेटअप में 6 कोच होंगे, जिसमें 1 फर्स्ट एसी, 2 चेयरकार, 2 स्लीपर और 1 जनरल कोच शामिल होगा।
कोचों में खिड़कियों की कमी
हालांकि नए कोच आकर्षक हैं, लेकिन इनमें खिड़कियां नहीं खुलेंगी, जिससे यात्रियों को पहाड़ी रास्तों पर ताजा हवा का आनंद नहीं मिल पाएगा।
सीआरएस की मंजूरी और किराए में संभावित वृद्धि
पुराने कोचों के पार्ट्स की कमी के कारण नए कोचों का निर्माण किया गया है। सीआरएस से मंजूरी मिलने के बाद इन कोचों को ट्रेनों में शामिल किया जाएगा। नए कोचों के आने के बाद यात्री किराए में वृद्धि की संभावना है।
टॉय ट्रेन सेवाओं की बहाली
कालका-शिमला ट्रैक पर रेलवे विभाग ने टॉय ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया है। अब रोजाना 5 टॉय ट्रेनें कालका से शिमला के लिए और 5 वापसी में चलेंगी।