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अक्षय नवमी की आरती: आंवला नवमी का महत्व और पूजा विधि

अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है, का महत्व और पूजा विधि जानें। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और दान का फल कभी समाप्त नहीं होता। पूजा के बाद आरती गाने से व्रत का पूरा फल मिलता है। यहां भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती के बोल भी दिए गए हैं। जानें इस विशेष दिन की पूजा विधि और आरती के महत्व के बारे में।
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अक्षय नवमी की आरती: आंवला नवमी का महत्व और पूजा विधि

अक्षय नवमी का महत्व

अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है, कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से आंवले के पेड़ की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान, व्रत और पूजा का फल कभी समाप्त नहीं होता।


आरती का महत्व

इस दिन लोग व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं। यदि आप भी अक्षय नवमी की पूजा कर रहे हैं, तो पूजा के बाद आरती गाना न भूलें। इससे व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। यहां भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती प्रस्तुत की जा रही है।


भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...


मां लक्ष्मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।।