अक्षय नवमी: जानें इस पर्व का महत्व और पूजा विधि
अक्षय नवमी का महत्व
आंवले के पेड़ की पूजा का महत्व
हर साल देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्यों से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे से शुरू होगी और 31 अक्टूबर को सुबह 10:03 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
पूजा का शुभ समय
- अक्षय नवमी का पूर्वाह्न समय: सुबह 6:44 बजे से सुबह 10:03 बजे तक
अक्षय नवमी का महत्व
- अक्षय का अर्थ है अमर, जिसका कभी क्षय नहीं होता। इस दिन किए गए दान का फल कभी नष्ट नहीं होता। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी से पूर्णिमा तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस दिन आंवले का सेवन करने से साधक और उसके परिवार को अच्छी सेहत का आशीर्वाद मिलता है।
अक्षय नवमी का ऐतिहासिक महत्व
कहा जाता है कि अक्षय नवमी से सत्य युग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इसे सत्य युगादि भी कहा जाता है। इसके अलावा, मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी, जिससे भक्तों की भारी भीड़ मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करने के लिए उमड़ती है।
