अजा एकादशी: जानें इस पावन दिन के महत्व और व्रत के लाभ

अजा एकादशी का महत्व
क्षेत्रीय समाचार: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने, रात्रि जागरण करने और भगवान विष्णु की आराधना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अजा एकादशी का व्रत करने से पिछले जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं और यह व्रत जीवन में सुख और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इस दिन की पूजा से मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति का भी विश्वास है।
अजा एकादशी की तिथि
पंचांग के अनुसार, 2025 में अजा एकादशी का पर्व 18 अगस्त को शाम 5:22 बजे से आरंभ होकर 19 अगस्त को दोपहर 3:32 बजे तक रहेगा। व्रत का शुभ दिन 19 अगस्त होगा, जो भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी सिद्ध होगा।
व्रत पारण का समय
व्रत पारण का समय
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। इस बार पारण का समय 20 अगस्त को सुबह 5:53 बजे से 8:29 बजे तक रहेगा। इस अवधि में व्रत खोलना शुभ माना जाता है और इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
पूजन और कथा का महत्व
पूजन और कथा का महत्व
अजा एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा, व्रत कथा का पाठ और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कथा का पाठ न करने से व्रत अधूरा माना जाता है और पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती।
दान का विशेष महत्व
दान का विशेष महत्व
इस दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना चाहिए। कहा जाता है कि दान से पापों का क्षय होता है और घर में बरकत आती है। यह दान भक्त के जीवन में शुभ संयोग और धन लाभ के मार्ग खोलता है।
व्रत से मिलने वाले लाभ
व्रत से मिलने वाले लाभ
अजा एकादशी का व्रत मन को शांति, शरीर को पवित्रता और आत्मा को बल प्रदान करता है। इस व्रत से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सौभाग्य व स्वास्थ्य का वास होता है। यह दिन ईश्वर भक्ति और साधना का अद्वितीय अवसर है।