अनंत चतुर्दशी 2025: पूजा और व्रत का महत्व

अनंत चतुर्दशी का पर्व
अनंत चतुर्दशी 2025: हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन गणेश विसर्जन के साथ भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा, व्रत कथा सुनने और सुनाने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में जब युधिष्ठिर और उनके भाई वनवास के दौरान कठिनाइयों का सामना कर रहे थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी। कृष्ण ने कहा कि इस व्रत के माध्यम से खोया हुआ राज्य भी वापस पाया जा सकता है। युधिष्ठिर ने विधिपूर्वक इस व्रत को किया और अंततः पांडवों को महाभारत युद्ध में विजय मिली।
व्रत कथा
व्रत कथा
व्रत कथा के अनुसार, एक समय एक ब्राह्मण की पुत्री सुशीला का विवाह कौण्डिन्य ऋषि से हुआ। विवाह के बाद जब वे नदी किनारे रुके, तो सुशीला ने वहीं अनंत भगवान का व्रत कर 14 गांठों वाला डोरा अपने हाथ में बांध लिया। लेकिन कौण्डिन्य ऋषि ने इसे अंधविश्वास मानकर डोरे को जला दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनका सारा धन और वैभव नष्ट हो गया।
जब कौण्डिन्य ऋषि ने पश्चाताप किया और भगवान अनंत की खोज में वन में भटकते-भटकते गिर पड़े, तब भगवान स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। भगवान ने उन्हें बताया कि डोरे का अपमान ही उनके दुखों का कारण है। फिर उन्होंने आदेश दिया कि वे 14 वर्षों तक इस व्रत को विधिपूर्वक करें। इसके बाद कौण्डिन्य ऋषि के सारे कष्ट दूर हो गए और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
इसलिए, आज भी अनंत चतुर्दशी पर व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। भक्तजन इस दिन अनंत भगवान की पूजा कर डोरा बांधते हैं और विधिपूर्वक उपवास रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं और सुख, समृद्धि तथा शांति का आशीर्वाद मिलता है.