अनंत चतुर्दशी: गणेश विसर्जन का महत्व और शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी का पर्व
आज, 06 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है, जो गणेश उत्सव का अंतिम दिन भी है। इस दिन, 10 दिनों तक घरों में स्थापित गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। अनंत चतुर्दशी के अवसर पर, भक्त गणपति बप्पा के अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना के साथ उनका विसर्जन करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्थी तक देशभर में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी की भक्ति
गणेश चतुर्थी के दौरान, लोग श्रद्धा के साथ गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उन्हें विराजमान करते हैं। कुछ भक्त बप्पा की प्रतिमा को डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन या पूरे दस दिनों तक अपने घर में रखते हैं। इसके बाद, धूमधाम से बप्पा की विदाई की जाती है। पंडालों में भी बप्पा की मूर्तियों को अनंत चतुर्दशी पर विदाई दी जाती है।
तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 06 सितंबर को सुबह 03:12 बजे शुरू हुई और इसका समापन 07 सितंबर को सुबह 01:41 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार, 06 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त: सुबह 07:30 से 09:00 बजे तक।
चर मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 01:30 बजे तक।
लाभ मुहूर्त: दोपहर 01:30 से 03:00 बजे तक।
अमृत मुहूर्त: दोपहर 03:00 से शाम 04:30 बजे तक।
उषाकाल मुहूर्त: शाम 04:36 से 06:00 बजे तक।
विसर्जन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और गणेश जी की पूजा का संकल्प लें। फिर विधि-विधान से बप्पा की पूजा, भोग, आरती आदि करें। घर पर हवन करें और एक चौकी पर स्वास्तिक का निशान बनाकर उसके ऊपर अक्षत रखें। चौकी के चारों कोनों पर सुपारी बांधें और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। इस चौकी पर पान-सुपारी, मोदक, दीप और पुष्प रखें और फिर बप्पा को विसर्जन के लिए ले जाएं।
बप्पा का विसर्जन
बप्पा का विसर्जन करने से पहले आरती करें। विसर्जन के लिए घर से नई बाल्टी या ड्रम में जल भरकर उसमें थोड़ा गंगाजल मिलाएं। फिर हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर मां गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी आदि नदियों का ध्यान करते हुए विसर्जन के लिए आमंत्रित करें।
इस जल में अक्षत और पुष्प डालकर श्रद्धा भाव से बप्पा की प्रतिमा को उठाएं और अगले साल फिर से आने की कामना के साथ धीरे-धीरे जल में विसर्जित करें। इस दौरान भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें और 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' का उच्चारण करें। प्रतिमा के पूरी तरह जल में डूब जाने के बाद, इस जल और मिट्टी में कोई पवित्र पौधा लगा दें। गणेश उत्सव के 10 दिनों की पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमा मांगे।