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अन्नपूर्णा जयंती 2025: महत्व और पूजा विधि

अन्नपूर्णा जयंती 2025, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी। इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस पर्व की तिथि, पूजा विधि और मां अन्नपूर्णा के स्वरूप के बारे में। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इस दिन की पूजा से घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती।
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अन्नपूर्णा जयंती 2025: महत्व और पूजा विधि

अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

अन्नपूर्णा जयंती 2025: मार्गशीर्ष मास भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है, जिन्हें भगवान श्री विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है। इस पवित्र माह में मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कालभैरव जयंती, उत्पन्ना एकादशी, विवाह पंचमी, गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी, दत्तात्रेय जयंती और अन्नपूर्णा जयंती।


अन्नपूर्णा जयंती की तिथि

अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 4 दिसंबर 2025 को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुई थीं। देवी अन्नपूर्णा के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मां अन्नपूर्णा की विधिपूर्वक पूजा करने से घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती है।


अन्नपूर्णा देवी का स्वरूप

अन्नपूर्णा देवी का रंग:
शास्त्रों में वर्णित है कि अन्नपूर्णा देवी का रंग जवा पुष्प के समान है। उनके तीन नेत्र हैं और मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है। मां अन्नपूर्णा सुंदर आभूषणों से सुसज्जित, प्रसन्न मुद्रा में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान रहती हैं। उनके बाएं हाथ में अन्न से भरा माणिक्य रत्न से जड़ा पात्र और दाहिने हाथ में रत्नों से बना कड़छुल होता है।


मां अन्नपूर्णा का ध्यान

मंत्र:
ओम ह्रींग अन्नपूर्णाय नमः
इस मंत्र का जाप करने के बाद मां अन्नपूर्णा का ध्यान करके उनसे प्रार्थना करें।


भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा

इस दिन सभी भक्तों को भोलेनाथ और मां पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करनी चाहिए कि उनके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी न हो।