अहोई अष्टमी पर माताओं के लिए दान का महत्व

संतान के जीवन में सुख-समृद्धि लाने का अवसर
अहोई अष्टमी का महत्व
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत विशेष महत्व रखता है। यह व्रत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 13 अक्टूबर को है। माताएं इस दिन अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए व्रत करती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं। इस दिन तारे को अर्घ्य देने की परंपरा भी है।
माताओं को इस दिन केवल एक घंटे का समय पूजा के लिए मिलेगा। शाम 5:53 से 7:08 बजे तक का समय पूजा के लिए शुभ माना गया है। अहोई अष्टमी पर माता की पूजा के बाद चंद्रमा और तारों का दर्शन करने की परंपरा है। तारों का दर्शन शाम 06:17 पर और चंद्र दर्शन रात 11:20 पर होगा।
संतान के लिए सुरक्षा कवच
अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सफलता और समृद्धि के लिए करती हैं। इसे संतान का सुरक्षा कवच भी कहा जाता है। इस दिन पूजा के साथ-साथ दान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से संतान के जीवन में आ रही परेशानियों का समाधान होता है। आइए जानते हैं कि माताएं अहोई अष्टमी पर किन चीजों का दान करें।
दान का महत्व
- अहोई अष्टमी पर सफेद रंग की चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। माताएं दूध, चीनी, चावल और सफेद मिठाई का दान कर सकती हैं। ये चीजें किसी गरीब या जरूरतमंद को दी जा सकती हैं या मंदिर में भी दान की जा सकती हैं।
- इस दिन बच्चों को कलम और कॉपी का दान करना भी अच्छा माना जाता है।
- गरीबों को अनाज जैसे गेहूं, चावल और दलिया का दान करना चाहिए। नए वस्त्र या धन का दान भी किया जा सकता है।
- संतान के सफल जीवन के लिए मौसमी फल या गुड़ का दान करना भी लाभकारी होता है। इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
- पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को दक्षिणा स्वरूप धन का दान देना भी आवश्यक है।