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अहोई अष्टमी: संतान के कल्याण के लिए दान की महत्ता

अहोई अष्टमी व्रत माताओं द्वारा संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और पूजा के बाद तारे को जल अर्पित करती हैं। दान का महत्व इस दिन विशेष रूप से बढ़ जाता है। जानें कि इस अवसर पर क्या-क्या दान करना चाहिए, जैसे अन्न, वस्त्र, दूध, मिठाई, फल और धन।
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अहोई अष्टमी: संतान के कल्याण के लिए दान की महत्ता

अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, जो दीपावली से कुछ दिन पहले आता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर तारे दिखाई देने तक निर्जला उपवास रखती हैं। पूजा के बाद माताएं तारे को जल अर्पित कर संतान के लिए मंगलकामना करती हैं। इस दिन दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष, अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को होगा। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा के साथ-साथ दान करना भी आवश्यक है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी पर क्या दान करना चाहिए।


दान के प्रकार

अन्न और वस्त्र का दान
गरीब या जरूरतमंद व्यक्तियों को गेहूं, चावल या अन्य अनाज का दान करें। बच्चों को नए कपड़े देना भी बहुत शुभ होता है।


दूध और सफेद मिठाई
इस दिन सफेद वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। आप किसी गरीब या मंदिर में दूध, दही, चीनी या सफेद मिठाई का दान कर सकते हैं। दान करने से जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी नहीं होती है।


फल और गुड़
अहोई अष्टमी के दिन संतान की शिक्षा और करियर में सफलता के लिए गुड़ और पीले रंग के फलों का दान करें। गुड़ का दान करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, जिससे संतान में नेतृत्व क्षमता, मान-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है।


धन का दान
इस दिन किसी ब्राह्मण को धन का दान अवश्य करें। अपनी श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा भेंट करें। ऐसा करने से संतान के जीवन में उन्नति और सुरक्षा होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।