आंवला नवमी 2025: पूजा विधि और महत्व
आंवला नवमी 2025, जो कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाएगी, का विशेष महत्व है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन की पूजा विधि, तिथि और आंवले के सेवन के लाभ के बारे में।
| Oct 29, 2025, 12:16 IST
आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा करने से भक्त को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। आंवला नवमी को कूष्माण्डा नवमी और जगधात्री पूजा के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन आंवला पूजन करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।आंवला नवमी 2025 की तिथि
इस वर्ष, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे से आरंभ होगी और 31 अक्टूबर को सुबह 10:03 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, आंवला नवमी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का समय सुबह 6:32 बजे से 10:03 बजे तक रहेगा।
पूजा विधि
पूजा:
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की जड़ में दूध और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद, आंवले के पेड़ को रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, पुष्प, फल आदि अर्पित करके विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
प्रसाद और दान
आंवला नवमी के दिन आंवले का प्रसाद खाने से स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए, इस दिन आंवले का दान और सेवन अवश्य करना चाहिए। परिवार के साथ आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से घर में खुशहाली आती है।
