Newzfatafatlogo

आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व और पूजा विधि

आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा विधि, व्रत का महत्व और पौराणिक कथा के बारे में जानें। यह व्रत सभी बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने का साधन है। जानें कैसे करें पूजा और क्या हैं इस दिन के विशेष मंत्र।
 | 
आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व और पूजा विधि

आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व

आज आश्विन विनायक चतुर्थी का व्रत है, जो सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि के महत्व को दर्शाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, और इस दिन उनकी भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इस व्रत के प्रभाव से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। आइए, हम आपको आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में जानकारी देते हैं। 


आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत के बारे में जानें

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के दौरान एक विशेष संयोग बन रहा है, जब विनायक चतुर्थी का व्रत भी मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है और नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ गणेश जी की आराधना का भी महत्व है। पंडितों के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। नवरात्रि में गणेश जी की पूजा करने से देवी मां भी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन विशेष प्रकार के दीपक जलाने से गणेश जी और माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


विनायक चतुर्थी का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की आराधना के बिना अधूरी मानी जाती है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है, जिसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इनमें से आश्विन मास की विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखते हैं, गणपति बप्पा की पूजा करते हैं और मोदक का भोग लगाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


आश्विन विनायक से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का प्रिय मंत्र "ॐ गं गणपतयै नमः" का जाप करना शुभ माना जाता है। पूजा के अंत में, गणेश जी की स्तुति करते हुए क्षमा याचना करें और सभी गलतियों के लिए माफी मांगें। तामसिक चीजों से दूरी बनाए रखें और व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें। 


आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

पंडितों के अनुसार, प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गणेश जी को लाल वस्त्र, दूर्वा घास, सिंदूर और फूल अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर गणेश जी की पूजा आरंभ करें। व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन उपवास रखें। शाम के समय गणेश जी की आरती और कथा का पाठ करें। व्रत पूरा होने पर प्रसाद (मोदक, लड्डू, फल) का सेवन करें और परिवार में बांटें। पूजा के दौरान "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।


विनायक गणेश चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा

शास्त्रों के अनुसार, विनायक चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा में भगवान शिव और माता पार्वती का उल्लेख है। एक बार माता पार्वती ने शिव जी से चौपड़ खेलने के लिए कहा। शिव जी ने कुछ तिनके एकत्रित कर एक पुतला बनाया और उससे हार-जीत का फैसला करने को कहा। खेल के दौरान माता पार्वती ने जीत हासिल की, लेकिन पुतले ने महादेव को विजयी बताया। इस पर माता पार्वती ने बालक को श्राप दिया। बालक ने माफी मांगी, और माता ने कहा कि गणेश व्रत करने से सभी कष्ट दूर होंगे। एक वर्ष बाद बालक ने गणेश जी का व्रत किया और भगवान गणेश ने उसे वरदान दिया। इस प्रकार, यह व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है।


आश्विन चतुर्थी व्रत के दिन मंत्रों का उच्चारण

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा के समय भगवान गणेश को मोदक और दूर्वा अवश्य भेंट करें। इस समय गणेश चालीसा का पाठ और गणेश मंत्र का जप करें। पूजा का समापन गणेश जी की आरती से करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में चंद्र पूजा कर फलाहार करें।