आषाढ़ कालाष्टमी: पूजा विधि और महत्व
आषाढ़ कालाष्टमी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो काल भैरव देव को समर्पित है। इस दिन भक्तों द्वारा विशेष पूजा विधि अपनाई जाती है, जिससे सभी कष्टों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जानें इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
Jun 18, 2025, 16:18 IST
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आषाढ़ कालाष्टमी का महत्व
हिन्दू धर्म में आषाढ़ कालाष्टमी का विशेष स्थान है। यह व्रत काल भैरव देव को समर्पित है, जिसमें भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से साधक को विशेष कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं आषाढ़ कालाष्टमी का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
आषाढ़ कालाष्टमी के बारे में
आषाढ़ कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट, भय और नकारात्मकता दूर होती है। काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता और न्याय का रक्षक माना जाता है, जो भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है, जो भगवान शिव के अंश और भैरव के उग्र रूप की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
आषाढ़ कालाष्टमी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से साधक को सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है, जिससे साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। पंडितों के अनुसार, इस दिन काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह दिन दीर्घायु का वरदान पाने के लिए भी शुभ माना जाता है।
आषाढ़ कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष आषाढ़ कालाष्टमी 18 जून को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 18 जून को दोपहर 1:34 बजे शुरू होगी और 19 जून को सुबह 11:55 बजे समाप्त होगी। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है।
मनोकामना पूर्ति के लिए आषाढ़ कालाष्टमी का व्रत
पंडितों के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के बाद कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन साधक विशेष मनोकामना पूर्ति हेतु व्रत रखते हैं। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक इस दिन विशेष पूजा करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव साधक को मनचाहा वर प्रदान करते हैं।
आषाढ़ कालाष्टमी के दिन पूजा विधि
पंडितों के अनुसार, साधक इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर के मंदिर को साफ करें और दीप जलाएं। भगवान काल भैरव की मूर्ति स्थापित करें और उनका ध्यान करें। मंत्रों का जाप करें और भगवान को नैवेद्य अर्पित करें। पूजा प्रदोष काल में करना अधिक शुभ माना जाता है।
आषाढ़ कालाष्टमी पर मंत्रों का जाप
पूजा के दौरान काल भैरव के मंत्रों का जाप करें। यह मंत्र जाप आपको सभी कष्टों से मुक्ति दिलाएगा।
- भैरव मूल मंत्र: “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं।”
- भैरव गायत्री मंत्र: “ॐ कालभैरवाय नमः”
- सामान्य मंत्र: “ॐ भैरवाय नमः”
आषाढ़ कालाष्टमी पर विशेष ध्यान
इस दिन काले कुत्ते को भोजन कराना शुभ माना जाता है। काल भैरव का वाहन कुत्ता है, और उन्हें भोजन कराने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं। काले तिल का दान करने से शनि दोष और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।