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ईरान ने भारत के छात्रों के लिए खोला हवाई क्षेत्र, ऑपरेशन सिंधु शुरू

ईरान ने भारत के छात्रों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को खोलने का निर्णय लिया है, जिससे लगभग 1,000 छात्रों को निकाला जा सके। ऑपरेशन सिंधु के तहत, भारतीय दूतावास ने उत्तरी ईरान से छात्रों को सुरक्षित निकाला है। इस कदम का उद्देश्य इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष के बीच छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जानें इस ऑपरेशन के बारे में और ईरान-इजरायल संघर्ष की ताजा स्थिति के बारे में।
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ईरान ने भारत के छात्रों के लिए खोला हवाई क्षेत्र, ऑपरेशन सिंधु शुरू

ईरान का महत्वपूर्ण निर्णय

ऑपरेशन सिंधु: ईरान ने शुक्रवार को भारत के छात्रों के निकासी के लिए अपने हवाई क्षेत्र को खोलने का निर्णय लिया है, जिससे लगभग 1,000 छात्रों को सुरक्षित निकाला जा सके। यह कदम इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष के बीच एक महत्वपूर्ण अपवाद है।


ईरान का हवाई क्षेत्र बंद

ईरानी हवाई क्षेत्र, जो कि मिसाइलों के आदान-प्रदान और ड्रोन हमलों के कारण अधिकांश अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए बंद था, अब भारत के छात्रों के लिए खोला गया है।


भारत का ऑपरेशन सिंधु

भारत ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत, भारतीय दूतावास ने उत्तरी ईरान से 110 छात्रों को निकाला, जो 17 जून को सड़क मार्ग से आर्मेनिया पहुंचे। इसके बाद, ये छात्र 18 जून को एक विशेष उड़ान से नई दिल्ली लौटने की उम्मीद कर रहे हैं।


विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि, "भारत सरकार विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।" इजरायल के हवाई हमलों के एक सप्ताह के भीतर, ईरान की सैन्य कमान के शीर्ष स्तर को निशाना बनाया गया है, जिससे कई लोग मारे गए हैं।


फोर्डो यूरेनियम प्लांट पर ट्रंप की नजर

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ईरान पर संभावित हमले पर विचार कर रहे हैं, विशेषकर फोर्डो यूरेनियम संवर्धन सुविधा पर, जो एक पहाड़ के नीचे स्थित है और इसे बंकर-बस्टर बमों से भी सुरक्षित माना जाता है।


इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष

इजरायल और ईरान के बीच युद्ध 13 जून को शुरू हुआ, जब इजरायली हवाई हमलों ने ईरान के परमाणु और सैन्य स्थलों को निशाना बनाया। एक मानवाधिकार समूह के अनुसार, ईरान में 263 नागरिकों सहित कम से कम 657 लोग मारे गए हैं।


इजरायली सेना के अनुसार, ईरान ने इजरायल पर 450 मिसाइलें और 1,000 ड्रोन दागे हैं, जिनमें से अधिकांश को इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ने नष्ट कर दिया। हालांकि, इजरायल में भी कई लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं।