कन्या पूजन: जानें क्या बनाएं और कैसे करें पूजा

कन्याओं की पूजा का महत्व
कन्या पूजन का आयोजन शारदीय नवरात्र के दौरान अष्टमी और नवमी तिथि को किया जाता है। इस अवसर पर कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। इन्हें कंजक भी कहा जाता है। पूजा का यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक है, बल्कि इसे श्रद्धा और सम्मान के साथ किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन के बिना नवरात्र का व्रत अधूरा माना जाता है।
कन्या पूजन की थाली में शामिल करें ये चीजें
- हलवा: यह प्रसाद का मुख्य हिस्सा है। सूजी का हलवा शुद्ध देसी घी में बनाकर माता को भोग लगाएं और फिर कन्याओं को खिलाएं।
- पूरी: ताजा और फूली हुई पूरी का सेवन करें। कुछ स्थानों पर मीठी पूड़ी बनाने की परंपरा भी है।
- काले चने: काले चने का प्रसाद कन्या भोज में अनिवार्य होता है। इन्हें बिना प्याज-लहसुन के पकाना चाहिए।
- खीर: कुछ लोग हलवे के साथ या उसके स्थान पर चावल की खीर बनाते हैं, जो माता रानी की प्रिय होती है।
- ताजे फल और मिठाई: भोजन के बाद कन्याओं को केला, सेब या अन्य मौसमी फल और मिठाई दें।
भोग में शामिल न करें ये चीजें
कन्या पूजन का भोजन पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए। इसमें तामसिक चीजें जैसे प्याज, लहसुन, मांस, अंडा, बासी भोजन और खट्टी चीजें नहीं होनी चाहिए। ऐसा करने से माता रानी रुष्ट हो सकती हैं।
कन्याओं का स्वागत कैसे करें
जब कन्याएं आपके घर में प्रवेश करें, तो पहले उनके पैर धोने चाहिए। ऐसा करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इसके बाद उनके पांव में महावर या आलता लगाना चाहिए।
कन्याओं को भोजन कैसे कराएं
कन्याओं को बिठाकर भोजन कराना चाहिए और उन्हें अपनी पसंद के अनुसार खाने देना चाहिए। साथ ही, उन्हें फल भी अवश्य दें।
कन्याओं को लाल चुनरी ओढ़ाएं
कन्या पूजन में कन्याओं को लाल रंग के वस्त्र भेंट में देने चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो उन्हें लाल चुनरी ओढ़ा सकते हैं। इसके साथ श्रृंगार का सामान भी उपहार में दें।
कन्याओं को उपहार दें
अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन में कन्याओं को चावल, सिक्का, दूर्वा, हल्दी की गांठ और एक फूल बांधकर देना चाहिए। इससे मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
कन्या पूजन के बाद क्या करें
जब सभी कन्याएं भोजन कर लें, तो उन्हें प्रणाम करें और आशीर्वाद लें। इसके बाद, उन्हें घर के द्वार तक छोड़कर आना चाहिए।