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करवा चौथ 2025: जानें इस पर्व की तिथियां और पूजा विधि

करवा चौथ 2025 का पर्व 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। इस लेख में जानें करवा चौथ की तिथियां, विशेष मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्र दर्शन का समय। इस पर्व का महत्व और इसके साथ जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी जानें।
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करवा चौथ 2025: जानें इस पर्व की तिथियां और पूजा विधि

करवा चौथ 2025 का महत्व

Karwa Chauth 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाने वाला करवा चौथ इस साल 10 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 07:38 बजे तक रहेगी। इस दिन शाम 05:32 बजे से रोहिणी नक्षत्र का आरंभ होगा और 05:41 बजे तक सिद्धि योग का निर्माण होगा, जो व्रत और पूजा को और भी शुभ बनाता है।


करवा चौथ 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां

चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 9 अक्टूबर की रात से
चतुर्थी तिथि समाप्ति – 10 अक्टूबर शाम 07:38 बजे
करवा चौथ की तारीख – 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ – 05:32 PM
सिद्धि योग समाप्ति – 05:41 PM
करवा चौथ व्रत की अवधि – 01 घंटा 14 मिनट


पूजा के लिए विशेष मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:40 AM से 05:30 AM
अभिजित मुहूर्त – 11:45 AM से 12:31 PM
विजय मुहूर्त – 02:04 PM से 02:51 PM
गोधूलि मुहूर्त – 05:57 PM से 06:22 PM
अमृत काल – 03:22 PM से 04:48 PM
निशीथ मुहूर्त – 11:43 PM से 12:33 AM (11 अक्टूबर)
लाभ – उन्नति – 07:46 AM से 09:13 AM
चर – सामान्य – 04:30 PM से 05:57 PM


चंद्र दर्शन का समय

करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन का समय रात 08:13 बजे निर्धारित किया गया है। हालांकि, विभिन्न शहरों में चांद निकलने का समय थोड़ा भिन्न हो सकता है। व्रतधारी महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करेंगी।


करवा चौथ की पूजा विधि

पूजन के समय मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर शिव-पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियों की स्थापना करें। इसके बाद व्रत कथा का श्रवण किया जाता है और विशेष पूजा सामग्री जैसे करवा, चलनी, थाली, लोटा आदि से पूजन किया जाता है।


चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए करवा (मिट्टी का बर्तन) का विशेष महत्व है, जिससे चंद्र देव को जल चढ़ाया जाता है। पूजा के अंत में चलनी से पति के दर्शन कर उनकी आरती उतारी जाती है और उनके हाथों से जल ग्रहण कर व्रत समाप्त किया जाता है।


करवा चौथ के मंत्र

नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्. प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे ॥


मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.


ऊं अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोमः प्रचोदयात


करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा. ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः ॥ इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे. सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा .. एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया. सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम् .. देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम. रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि .