करवा चौथ: पति का चेहरा छलनी से देखने का महत्व

करवा चौथ पर सौभाग्य की प्राप्ति
करवा चौथ का महत्व
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। यह मान्यता है कि इस व्रत से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। व्रत की शुरुआत सरगी से होती है और यह चंद्र देव और पति के दर्शन के बाद समाप्त होता है। इस दिन पति का चेहरा छलनी से देखना विशेष महत्व रखता है।
पति का चेहरा छलनी से देखने का कारण
सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है और इस समय पति का चेहरा भी छलनी से देखा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस अवसर पर करवा माता की पूजा भी की जाती है।
इस व्रत के पुण्य से व्रती को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। पति का चेहरा छलनी से देखने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके लिए पहले चंद्र देव के दर्शन किए जाते हैं और फिर पति का चेहरा देखा जाता है।
चंद्रमा न दिखने पर उपाय
यदि चंद्रमा बादलों के कारण नहीं दिखता है, तो महिलाएं एक पीतल या कांस्य की थाली में चंद्रमा की आकृति बना सकती हैं और उस आकृति को देखकर पूजा कर सकती हैं। इसके लिए धूप, पान सुपारी, दीप और इलायची जैसी सामग्री लेनी होती है।
चंद्रमा की पूजा का महत्व
करवा चौथ या संकष्टी चतुर्थी के व्रत में रात के समय चंद्रमा की पूजा करना और अर्घ्य देना अनिवार्य है। इसके बिना व्रत पूरा नहीं होता। व्रत तब ही पूरा होता है जब चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथों जल पीकर व्रत तोड़ा जाता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब गणेश जी को हाथी का सिर लगा, तो चंद्र देव उनके रूप को देखकर हंसने लगे। इससे गणेश जी अपमानित महसूस करने लगे और चंद्रमा को श्राप दिया कि वह अपनी चमक खो देंगे। चंद्र देव ने अपनी गलती का एहसास किया और गणेश जी से क्षमा मांगी। गणेश जी ने कहा कि चंद्र देव की कांति कृष्ण पक्ष में 15 दिन कम होगी और शुक्ल पक्ष में 15 दिन बढ़ेगी।
गणेश जी ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखेगा और गणपति की पूजा करेगा, उसे रात में चंद्रमा की पूजा करके अर्घ्य देना होगा। तभी व्रत पूरा होगा। करवा चौथ व्रत भी कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है।