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करवा चौथ पर बच्चों को मां का बचा हुआ पानी पिलाने की मान्यता

करवा चौथ का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां वे अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। इस दिन एक मान्यता है कि व्रत के बाद बचा हुआ पानी बच्चों को पिलाना चाहिए, जिससे उनकी अकाल मृत्यु का खतरा कम होता है। जानें इस परंपरा के पीछे की धार्मिक मान्यता और भगवान गणेश का वरदान।
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करवा चौथ पर बच्चों को मां का बचा हुआ पानी पिलाने की मान्यता

करवा चौथ का पर्व


अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहता
करवा चौथ का पर्व आज मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इस पर्व का महत्व अमर प्रेम और सुहाग का प्रतीक है। महिलाएं करवा माता की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। व्रत के बाद, वे अपने पतियों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। कुछ महिलाएं इस पानी को खुद पीती हैं, जबकि अन्य इसे अपने बच्चों को पिलाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पानी बच्चों को पिलाना चाहिए।


बचाव की मान्यता

करवा चौथ के व्रत के बाद, महिलाओं को बचा हुआ पानी अपने बच्चों को देना चाहिए। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पानी ताबे के बर्तन में ही पिया जाए। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों की अकाल मृत्यु का खतरा कम होता है। हालांकि, यह केवल एक धार्मिक विश्वास है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।


पतिव्रता धर्म का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं अपने पतियों और परिवार के सदस्यों की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं। इसलिए, पानी पीने के समय माता से परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करना महत्वपूर्ण है।


भगवान गणेश का वरदान

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश ने माताओं को यह वरदान दिया था कि व्रत के अंत में पति द्वारा पिलाए गए जल से बचा हुआ झूठा पानी बच्चों को पिलाने से उनकी किसी भी दुर्घटना में मृत्यु नहीं होगी। गणेश जी ने कहा था कि जब माताएं दिनभर व्रत करेंगी और शाम को चंद्रमा का दर्शन करेंगी, तो उनके बच्चों को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होगा।