करवा चौथ: पूजा विधि और महत्व
करवा चौथ, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है, जो सभी कार्यों की शुरुआत में की जाती है। इस लेख में करवा चौथ की पूजा विधि, उसके महत्व और संबंधित कथाओं का वर्णन किया गया है। जानें कैसे इस व्रत के माध्यम से पति की लंबी उम्र के लिए पूजा की जाती है और इसके पीछे की कहानियाँ क्या हैं।
Oct 8, 2025, 18:30 IST
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करवा चौथ का महत्व
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ या करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाओं के लिए गणेश जी की पूजा करना अनिवार्य है। भारतीय संस्कृति में गणेश जी की पूजा किसी भी कार्य की शुरुआत में की जाती है, क्योंकि इन्हें अनादि देव माना जाता है। इसलिए, गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है।
गणेश जी की पूजा का महत्व
भगवान शिव और माता पार्वती ने भी अपने विवाह के समय सबसे पहले गणेश जी की पूजा की थी। कवि तुलसीदास जी ने इस बात का उल्लेख अपने महाकाव्य में किया है। इस व्रत के दौरान, व्रति को नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर गणेश जी की पूजा के लिए दृढ़ संकल्प करना चाहिए कि वह दिनभर निराहार रहकर गणेश जी का ध्यान करेगी और रात में चंद्रमा के उदय होने तक निर्जल व्रत रखेगी।
पूजा की विधि
व्रत के दिन, शाम को घर की दीवार को गोबर से लीपकर उस पर गेरू की स्याही से गणेश, पार्वती, शिव, और कार्तिकेय की प्रतिमाएं बनानी चाहिए। साथ ही, एक वटवृक्ष मानव की आकृति बनानी चाहिए, जिसके हाथ में छलनी हो। दीवार पर उदित होते हुए चांद की आकृति भी बनानी चाहिए।
पूजन के समय, उस प्रतिमा के नीचे दो करवे में जल भरकर रखना चाहिए। करवे के गले में नारा लपेटकर उसे सिंदूर से रंगना चाहिए। इसके बाद, करवे के ऊपर चावल से भरा कटोरा और सुपारी रखनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में चावल का लड्डू और अन्य पकवान अर्पित करें। इस प्रकार विधिपूर्वक पूजा करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और व्रति को मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
करवा चौथ की कथा
एक समय की बात है, एक पतिव्रता स्त्री करवा अपने पति के साथ नदी के किनारे रहती थी। एक दिन उसके पति को स्नान करते समय मगर ने पकड़ लिया। करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांधकर यमराज के पास पहुंची और कहा कि उसे नरक में भेजें। यमराज ने कहा कि उसकी आयु शेष है, लेकिन करवा ने श्राप देने की धमकी दी। अंततः यमराज ने मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी।
महाभारत में भी करवा चौथ का महत्व बताया गया है। द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि अर्जुन की तपस्या के दौरान विघ्न बाधाएं आती हैं। श्रीकृष्ण ने बताया कि करवा चौथ का व्रत इन बाधाओं को दूर करता है। द्रौपदी ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया और इसके फलस्वरूप पांडवों की जीत हुई।