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कार्तिक पूर्णिमा: गंगा स्नान और दान का महत्व जानें

कार्तिक पूर्णिमा, जो 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है, जो व्यक्ति को पवित्रता और मोक्ष की ओर ले जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। जानें इस दिन के पीछे की धार्मिक मान्यताएं और दान का महत्व।
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कार्तिक पूर्णिमा: गंगा स्नान और दान का महत्व जानें

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व


अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी है स्नान और दान
कार्तिक मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व है, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टि से विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन गंगा स्नान और दान का पुण्य अन्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है।


धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सौ अश्वमेध यज्ञों का फल प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को आएगी, इसलिए इस दिन व्रत, स्नान और दान करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा।


कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान का महत्व

देवताओं का आगमन: मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा में स्नान करते हैं। इस दिन गंगा का जल अमृतमय हो जाता है। जो व्यक्ति इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करता है, उसे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।


त्रिपुरारी पूर्णिमा: इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने काशी में दीए जलाए और देव दिवाली मनाई। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।


मत्स्य अवतार: शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस दिन मत्स्य अवतार लिया था। इस दिन उनकी आराधना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


मोक्ष का द्वार: कार्तिक मास को मोक्ष का महीना माना जाता है। इस दिन स्नान, दान और उपवास करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ता है।


कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व

अन्न-धन का दान: किसी गरीब या ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, धन या आवश्यक वस्तुएं दान करना अत्यंत फलदायी होता है। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।


दीपदान: इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है। पवित्र नदियों, मंदिरों, पीपल या तुलसी के पास दीप जलाने से जीवन में सकारात्मकता और सुख का आगमन होता है।


गौ दान: यदि संभव हो, तो गौ दान करना सर्वोत्तम दान माना गया है।