Newzfatafatlogo

कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि पर विशेष योग और हनुमान पूजा का महत्व

इस लेख में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर बनने वाले सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का महत्व बताया गया है। साथ ही, हनुमान पूजा की विधि और इसके लाभों पर भी चर्चा की गई है। जानें कैसे इस दिन की पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
 | 
कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि पर विशेष योग और हनुमान पूजा का महत्व

कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि का महत्व

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बना रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 8 अक्टूबर की रात 1 बजकर 28 मिनट तक मीन राशि में रहेंगे, इसके बाद वे मेष राशि में प्रवेश करेंगे।


द्रिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार को पूर्णिमा तिथि सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इसके बाद कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय दोपहर 3 बजकर 4 मिनट से शाम 4 बजकर 32 मिनट तक होगा।


सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग

सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक अत्यंत शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। इस योग में किए गए कार्यों की सफलता की मान्यता है। इसका मुहूर्त 29 सितंबर की सुबह 3 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।


अमृत सिद्धि योग भी वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण योग है, जो विशेष दिन और नक्षत्र के संयोग से बनता है। इस योग में किए गए कार्य निश्चित रूप से सफल होते हैं, जिससे व्यक्ति को समृद्धि और सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह योग नए व्यापार की शुरुआत, वाहन खरीदने या नए घर में प्रवेश करने के लिए उत्तम माना जाता है।


हनुमान पूजा का महत्व

स्कंद पुराण के अनुसार, मंगलवार के दिन बजरंगबली का जन्म हुआ था, जिससे इस दिन उनकी पूजा का महत्व और बढ़ जाता है। रामभक्त हनुमान को मंगल ग्रह का नियंत्रक माना जाता है।


इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करने से जीवन के कष्ट, भय और चिंताएं दूर होती हैं। साथ ही, मंगल ग्रह से संबंधित बाधाएं भी समाप्त होती हैं।


पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूजा की सामग्री रखें और उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें।


इसके बाद सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर बजरंगबली की आरती करें। आरती के बाद आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें।


शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है। लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है, इसलिए इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस पावन दिन पर हनुमान जी की आराधना कर जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करें।