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कोटा में दशहरे पर बना नया विश्व रिकॉर्ड: 233 फुट ऊंचा रावण दहन

कोटा शहर ने दशहरे के अवसर पर 233 फुट ऊंचे रावण का दहन कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस भव्य आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने भाग लिया। रावण का पुतला इतना विशाल था कि दर्शकों को उसका सिर देखने के लिए गर्दन उठानी पड़ी। तकनीकी बाधाओं के बावजूद, आयोजन समिति ने सफलतापूर्वक रावण का दहन किया। जानें इस ऐतिहासिक पल के बारे में और कैसे कोटा ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया।
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कोटा में दशहरे पर बना नया विश्व रिकॉर्ड: 233 फुट ऊंचा रावण दहन

कोटा दशहरा 2025: एक ऐतिहासिक पल

Kota Dussehra 2025: राजस्थान के कोटा शहर ने इस साल दशहरे के मौके पर एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। दशहरा मैदान में रावण के 233 फुट ऊंचे पुतले का दहन न केवल कोटा की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर उजागर करता है, बल्कि इसे दुनिया के सबसे ऊंचे रावण दहन के रूप में भी मान्यता दिलाता है। इस भव्य समारोह का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया। रावण का पुतला इतना विशाल था कि मैदान में खड़े हजारों दर्शकों को उसका सिर देखने के लिए गर्दन उठानी पड़ी। उसके दोनों ओर खड़े 60-60 फुट ऊंचे कुंभकरण और मेघनाद छोटे प्रतीत हो रहे थे।




रावण दहन का नया रिकॉर्ड

इससे पहले, दिल्ली में 2024 में 210 फुट ऊंचे रावण का दहन किया गया था। कोटा ने 233 फुट ऊंचे रावण का पुतला जलाकर इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया। कोटा के पूर्व राजपरिवार के मुखिया इज्यराज सिंह ने भगवान लक्ष्मीनारायण की शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए रावण दहन के लिए तीर छोड़ा। इस परंपरागत दहन समारोह ने इसे और भी खास बना दिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि यह अवसर अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है। कोटा दशहरा हमारी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक मान्यताओं का संगम है।


रावण के निर्माण में लगा समय

हरियाणा के अंबाला जिले के कारीगर तेजेंद्र चौहान ने अपनी 25 सदस्यीय टीम के साथ मिलकर इस विशाल पुतले को तैयार करने में लगभग चार महीने का समय लिया। उन्होंने रावण के साथ-साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को भी बारीकी से सजाया।


तकनीकी बाधाएं और समाधान

रावण दहन की योजना के अनुसार इसे सेंसर सिस्टम से जलाया जाना था, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह फेल हो गया। इसके बाद नगर निगम की अग्निशमन टीम और हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से पुतले के शेष हिस्सों को मैन्युअल रूप से जलाया गया। इस दौरान दशहरा मैदान में उपस्थित हजारों लोग रावण दहन का बेसब्री से इंतजार करते रहे। तकनीकी खामी ने आयोजन समिति में थोड़ी बाधा जरूर डाली, लेकिन टीम ने हार नहीं मानी और धैर्य के साथ रावण का दहन सफलतापूर्वक किया।