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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश को प्रिय भोग अर्पित करने का महत्व

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं। जानें इस पर्व पर भगवान गणेश को प्रिय भोग अर्पित करने की विधि और इसके लाभ।
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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश को प्रिय भोग अर्पित करने का महत्व

कष्टों से मुक्ति का अवसर


कष्टों से मिलेगी मुक्ति
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस व्रत का पालन करने से जीवन की कठिनाइयाँ और बाधाएँ समाप्त होती हैं। इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, 08 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन चंद्र दर्शन रात 08 बजकर 01 मिनट पर होगा।


भगवान गणेश को प्रिय भोग अर्पित करें

भगवान गणेश को लगाएं उनके प्रिय भोग



  • मोदक/लड्डू: भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय हैं। इन्हें भोग में अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होकर भक्तों को बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

  • दूर्वा और गुड़: गणेश जी को 21 दूर्वा अर्पित करना और गुड़ का भोग लगाना विशेष फलदायी होता है, जिससे धन-धान्य में वृद्धि होती है।

  • केला: फलों में गणेश जी को केला बहुत पसंद है। केले का भोग लगाने से कार्यों में सफलता मिलती है।

  • नारियल: नारियल का भोग संकटों को दूर करने वाला माना जाता है।


पूजा का महत्व और लाभ

पूजा का महत्व और लाभ


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है। भगवान गणेश को बुद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। उनकी आराधना से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पूजन मंत्र

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पूजन मंत्र



  • ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा:।।

  • वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकायेर्षु सर्वदा:।।

  • ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्ली श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा:।।