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गणेश चतुर्थी 2025: जानें इस पर्व की महत्ता और पूजा विधि

गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस वर्ष, यह पर्व 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। भक्त इस दिन गणेश जी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं और उनके जन्म की मान्यता के अनुसार, सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। पूजा का शुभ समय, गणेशोत्सव की अवधि और विसर्जन की परंपरा के बारे में जानें।
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गणेश चतुर्थी 2025: जानें इस पर्व की महत्ता और पूजा विधि

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस वर्ष, गणेश चतुर्थी का पावन दिन 27 अगस्त 2025, बुधवार को आएगा। मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती के पुत्र गणेशजी का जन्म हुआ था।


गणेश पूजा की मान्यता

मान्यता का महत्व

हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा से सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। इसलिए, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से की जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन भक्त अपने घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं और विधिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं।


पूजा का शुभ समय

पूजा का शुभ मुहूर्त

धार्मिक ग्रंथों और द्रिक पंचांग के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा इसी समय करना सबसे शुभ माना जाता है।

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त: 27 अगस्त 2025 को दोपहर 03:44 बजे

गणेश स्थापना और पूजन का शुभ समय: 27 अगस्त 2025 को सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक

इस समय के दौरान भक्त षोडशोपचार गणपति पूजा करते हैं, जिसमें भगवान गणेश को 16 विशेष वस्तुओं से अर्चित किया जाता है।


गणेशोत्सव का उत्सव

गणेशोत्सव की अवधि

भारत के विभिन्न हिस्सों में गणेश चतुर्थी केवल एक दिन मनाई जाती है। लेकिन महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिसे गणेशोत्सव कहा जाता है। इन दिनों भक्त प्रतिदिन भजन, आरती और पूजा के साथ गणेशजी की सेवा करते हैं।


गणेश विसर्जन की परंपरा

गणेश विसर्जन की परंपरा

गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दिन श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति को शोभायात्रा के साथ तालाब, नदी या समुद्र में विसर्जित करते हैं। इस अवसर पर "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयकारे गूंजते हैं। विसर्जन का यह उत्सव भक्तों की भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम होता है।