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गणेश महोत्सव 2023: उत्सव की शुरुआत और पूजा विधि

गणेश महोत्सव 2023 का आगाज़ आज से हो रहा है, जो 27 अगस्त से 6 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान श्रद्धालु बप्पा की पूजा करेंगे। जानें इस पर्व की पूजा विधि और महत्वपूर्ण मुहूर्त के बारे में।
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गणेश महोत्सव का आगाज़

भारत के सांस्कृतिक कैलेंडर का सबसे प्रिय पर्व गणेश महोत्सव आज से शुरू हो रहा है। यह उत्सव 27 अगस्त से प्रारंभ होकर 6 सितंबर तक चलेगा, जब गणपति विसर्जन यानी अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दौरान देशभर में श्रद्धालु बप्पा की पूजा करेंगे। महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, पुणे और नागपुर से लेकर उत्तर और दक्षिण भारत तक लोग इस पर्व का स्वागत बड़े उत्साह के साथ कर रहे हैं।


इस वर्ष गणेश चतुर्थी की तिथि 26 अगस्त को दोपहर 1:53 बजे से शुरू हुई, जो 27 अगस्त को दोपहर 3:43 बजे तक रहेगी। उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए गणेशोत्सव 27 अगस्त से आरंभ किया जाएगा।


गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए शुभ समय: सुबह 11:01 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक। दूसरा अनुकूल समय: दोपहर 1:39 बजे से शाम 6:05 बजे तक। पूजा का सर्वोत्तम समय: 11:05 बजे से 1:40 बजे के बीच है। इन मुहूर्तों में गणपति की स्थापना और पूजा को विशेष फलदायी माना गया है.


पूजा विधि और परंपरा

गणेश चतुर्थी पर परिवार और समाज मिलकर बप्पा को घर लाते हैं। घर के पूजा स्थल को साफ करके फूलों, रंगोली और सजावटी वस्तुओं से सजाया जाता है। शुभ समय में भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। मिट्टी, पीतल, कांस्य, लकड़ी या पत्थर की प्रतिमा को विशेष शुभ माना जाता है।


पूजन की प्रक्रिया संकल्प से शुरू होती है, इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ गणेश जी का आह्वान किया जाता है। प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें पुष्प, वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। बप्पा की आरती कर उन्हें मोदक और लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी को मोदक प्रिय है, जबकि लड्डू अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इसके साथ ही दूर्वा घास और लाल फूल का विशेष महत्व होता है।