गर्भावस्था में जितिया व्रत: क्या यह सुरक्षित है?

गर्भावस्था में जितिया व्रत: सही या गलत?
गर्भावस्था में जितिया व्रत: क्या यह सही है?: नई दिल्ली | हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत, जिसे जीवितपुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। माताएं इस व्रत को अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए करती हैं।
इस व्रत में पूरे दिन बिना खाना और पानी के निर्जला उपवास रखना होता है, जो इसे चुनौतीपूर्ण बनाता है। खासकर गर्भवती महिलाएं अपने गर्भ में पल रहे बच्चे या पहले से मौजूद बच्चों के लिए इस व्रत को रखना चाहती हैं। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या गर्भावस्था में जितिया व्रत रखना सुरक्षित है? यदि हां, तो इसे कैसे करना चाहिए और यदि नहीं, तो क्या विकल्प हैं? आइए जानते हैं इस व्रत के नियम और सावधानियों के बारे में।
क्या गर्भावस्था में जितिया व्रत रखना चाहिए?
गर्भवती महिलाओं को जितिया व्रत रखने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी गर्भावस्था सामान्य है या जोखिम भरी।
यदि डॉक्टर और परिवार की सहमति हो, तभी इस व्रत को करना चाहिए। मां और बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए कोई भी निर्णय लेना जरूरी है।
गर्भावस्था में जितिया व्रत कैसे करें?
गर्भावस्था के दौरान निर्जला उपवास या बिना भोजन का व्रत मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाएं फलाहार या तरल आहार का सहारा ले सकती हैं। दूध, नारियल पानी, फल, साबूदाना खिचड़ी, या सूखे मेवे जैसे हल्के आहार के साथ व्रत पूरा किया जा सकता है। इससे शरीर को आवश्यक पोषण मिलता रहेगा और व्रत का पुण्य भी प्राप्त होगा।
यदि व्रत न कर सकें, तो क्या करें?
यदि गर्भवती महिला की सेहत व्रत करने की अनुमति नहीं देती, तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्थिति में आप अपनी मां, बहन या सास से अपने बच्चे के लिए व्रत करवाकर उसका पुण्य अपने बच्चे को समर्पित कर सकती हैं। इसके अलावा, घर पर पूजा करवाकर और प्रसाद बांटकर भी आप इस व्रत का महत्व बनाए रख सकती हैं।