गांव मंगाली: फुटबॉल खिलाड़ियों का गढ़

मंगाली का फुटबॉल सफर
मंगाली, हिसार। हिसार से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित मंगाली गांव को फुटबॉल खिलाड़ियों का गढ़ माना जाता है। यहां के लगभग हर घर में बेटियां फुटबॉल खेलती हैं। अब तक 500 से अधिक बेटियां इस खेल में सक्रिय हो चुकी हैं, जिनमें से 200 से ज्यादा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। खेल कोटे के तहत 32 बेटियों को नौकरी भी मिल चुकी है। फुटबॉल कोच नरेन्द्र ने बताया कि इस वर्ष तीन खिलाड़ियों का चयन सीआईएसएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर हुआ है। इनमें रेणू, काजल और आरती शामिल हैं। इन तीनों को 9 सितंबर को गाजियाबाद में जॉइनिंग लेटर दिया जाएगा।
काजल की अंतरराष्ट्रीय सफलता
काजल ने 3 इंटरनेशनल पदक जीते
काजल ने फुटबॉल में अपनी मेहनत से पहचान बनाई है। लगभग 9 साल पहले उन्होंने अपनी बड़ी बहन ज्योति से प्रेरणा लेकर खेल में कदम रखा। निरंतर संघर्ष और मेहनत के बल पर काजल ने अब तक एक गोल्ड और दो सिल्वर मेडल जीते हैं। उनके पिता किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी, लेकिन काजल ने अपनी मेहनत से अपने सपने को साकार किया।
रेणु का संघर्ष और सफलता
रेणु ने फुटबॉल में चमकाया नाम
रेणु, जो मंगाली की फुटबॉल खिलाड़ी हैं, ने कठिनाइयों के बावजूद अपने खेल में पहचान बनाई है। उन्होंने लगभग 11 साल पहले अपने छोटे भाई कर्ण सिंह से प्रेरणा लेकर फुटबॉल खेलना शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने कभी भी खेलने से मना नहीं किया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने में मदद मिली। अब उनकी मेहनत का फल नौकरी के रूप में मिला है, जिससे परिवार में खुशी का माहौल है।
आरती की प्रेरणा
आरती ने सीनियर्स से प्रेरित हो शुरू किया था फुटबॉल खेलना
आरती ने गांव के सरकारी स्कूल के मैदान में सीनियर खिलाड़ियों को खेलते देखकर फुटबॉल को अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर 15 से अधिक मेडल दिलाए हैं। आरती का कहना है कि आज गांव की लड़कियां खेल के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रही हैं।