गुरु गोबिंद सिंह जी के पवित्र जोड़े साहिब की नगर कीर्तन यात्रा का ऐलान

नगर कीर्तन यात्रा का विवरण
नई दिल्ली (विक्रांत यादव)- केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जानकारी दी है कि गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र ‘जोड़े साहिब’ को दिल्ली से पटना साहिब तक लगभग 1500 किलोमीटर की नगर कीर्तन यात्रा के माध्यम से श्रद्धा के साथ ले जाया जाएगा। यह यात्रा नौं दिन चलेगी और गुरुद्वारा पटना साहिब, जो सिख धर्म के पांच तख्तों में से एक है, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म स्थान है।
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में की गई घोषणा
यह घोषणा नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में की गई, जिसमें उस समिति के सदस्य भी शामिल थे जिन्होंने इस पवित्र जोड़े के अंतिम स्थान का निर्णय लिया। इस अवसर पर प्रो. (श्रीमती) सिमरित कौर, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की प्रिंसिपल, जस्टिस जी. एस. सिस्तानी, पूर्व जज, दिल्ली हाईकोर्ट, और अन्य प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे। पुरी ने बताया कि यह जोड़ा लगभग 300 वर्षों से उनके परिवार की देखरेख में सुरक्षित है।
जोड़े साहिब की विशेषताएँ और यात्रा की योजना
गुरु गोबिंद सिंह जी का दायां जूता लगभग 11 इंच × 3½ इंच है, जबकि माता साहिब कौर जी का बायां जूता 9 इंच × 3 इंच मापा गया है। पुरी ने बताया कि दीपावली के बाद यह नगर कीर्तन यात्रा शुरू होगी, जो दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से होते हुए पटना साहिब पहुंचेगी। यात्रा के दौरान प्रमुख स्थानों पर रुकने की योजना है, जैसे फरीदाबाद, आगरा, बरेली, कानपुर और प्रयागराज।
सुरक्षा और वैज्ञानिक जांच
जोड़े साहिब का अंतिम संरक्षण सरदार जसमीत सिंह पुरी के पास था। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने हरदीप सिंह पुरी से अनुरोध किया कि इन पवित्र जोड़ों की सुरक्षित व्यवस्था की जाए। संस्कृति मंत्रालय के विशेषज्ञों ने इन अवशेषों की वैज्ञानिक और ऐतिहासिक जांच की। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने कार्बन डेटिंग की, जिससे इनकी प्रामाणिकता सिद्ध हुई।
समिति की सिफारिश और यात्रा का महत्व
प्रो. सिमरित कौर की अध्यक्षता में सिख विद्वानों की एक समिति गठित की गई, जिसने प्रधानमंत्री को सिफारिश की कि जोड़े साहिब को पटना साहिब गुरुद्वारे में स्थायी रूप से स्थापित किया जाए। हरदीप सिंह पुरी ने समिति और सभी सिख संस्थाओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक क्षण होगा, जो गुरु गोबिंद सिंह जी के संदेश को आगे बढ़ाएगा।