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गुरुग्राम और दिल्ली में फर्जी कॉल सेंटर घोटाले का खुलासा

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुग्राम और दिल्ली में एक बड़े कॉल सेंटर धोखाधड़ी का खुलासा किया है। इस कार्रवाई में 20 अगस्त को सात स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें आरोपियों ने अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी सहायता के नाम पर ठगा। जांच में पता चला है कि उन्होंने करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की और कई बैंक खातों को फ्रीज किया गया है। ईडी अब इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है।
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गुरुग्राम और दिल्ली में फर्जी कॉल सेंटर घोटाले का खुलासा

ईडी की कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए गुरुग्राम और दिल्ली में एक कॉल सेंटर धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। 20 अगस्त को, ईडी की टीम ने इन दोनों शहरों में सात स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक बड़े कॉल सेंटर घोटाले के संदर्भ में की गई थी, जिसकी जांच सीबीआई की एफआईआर के आधार पर शुरू हुई।


धोखाधड़ी का विवरण

एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग दिल्ली और उसके आसपास फर्जी कॉल सेंटर्स का संचालन कर रहे थे, जो विशेष रूप से अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी धोखाधड़ी का शिकार बना रहे थे। यह अवैध गतिविधि नवंबर 2022 से अप्रैल 2024 तक चलती रही।


जांच में सामने आए तथ्य

ईडी की जांच में यह पता चला कि आरोपियों अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा ने गुरुग्राम और नोएडा से कॉल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी सहायता के नाम पर ठगा। उन्होंने पीड़ितों के बैंक खातों में अनधिकृत पहुंच प्राप्त की और करोड़ों रुपये को विदेशी खातों में स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद, उन्होंने एक जटिल बैंकिंग नेटवर्क के माध्यम से इस धन को वापस भारत लाकर अपनी भव्य जीवनशैली पर खर्च किया।


अकाउंट्स की फ्रीजिंग

अब तक की जांच में यह सामने आया है कि आरोपियों ने लगभग 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर, यानी करीब 125 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। इस छापेमारी के दौरान 30 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, साथ ही महंगी घड़ियां और 8 लग्जरी कारें भी जब्त की गई हैं। इसके अलावा, 100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई से खरीदी गई संपत्तियां भी शामिल हैं। वर्तमान में, ईडी आगे की जांच कर रही है और साइबर धोखाधड़ी के पूरे नेटवर्क का विश्लेषण कर रही है।