गोपाष्टमी: गायों की पूजा का महत्व और विधि
गोपाष्टमी का महत्व
सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। इसी पवित्रता के कारण हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
गोपाष्टमी कब मनाई जाएगी?
इस वर्ष 2025 में गोपाष्टमी 30 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा है, जब उन्होंने पहली बार गाय चराने का कार्य आरंभ किया था। गोपाष्टमी पर गोमाता की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और ग्रहों की शांति प्राप्त होती है।
गोपाष्टमी का उद्देश्य
गोपाष्टमी का मुख्य उद्देश्य गाय की सेवा करना है। इस दिन गायों को हरा चारा खिलाना, उनकी पूजा करना और गोशाला में सेवा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि गौमाता की पूजा से सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा
स्कंद पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी छठी वर्षगांठ पर पहुंचे, तो उन्होंने माता यशोदा से गाय चराने की इच्छा व्यक्त की। यशोदा ने नंद बाबा से अनुमति लेने को कहा। नंद बाबा ने कहा कि वह छोटे हैं, पहले बछड़ों को चराएं। लेकिन कृष्ण ने जिद की। अंततः नंद बाबा ने शांडिल्य ऋषि से शुभ मुहूर्त पूछा, और ऋषि ने कार्तिक शुक्ल अष्टमी को सबसे अच्छा दिन बताया। इस दिन कृष्ण ने गायों को चराना शुरू किया, और यह दिन गोपाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
गोपाष्टमी पूजा का महत्व
गोपाष्टमी के दिन गौमाता की पूजा करने से कुंडली के ग्रह शांत होते हैं और बुध ग्रह मजबूत होता है। गाय को हरा चारा खिलाने से बुद्धि, व्यापार और संचार में सफलता मिलती है। इस दिन की पूजा से पाप मिटते हैं और घर में लक्ष्मी का वास होता है।
गोपाष्टमी पूजा विधि
30 अक्टूबर को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशा में स्थान बनाएं। यदि घर में गाय है, तो उसे पूजा करें, अन्यथा गोशाला जाएं या गाय की तस्वीर का उपयोग करें। अष्टमी तिथि 29 अक्टूबर सुबह 9:23 बजे से 30 अक्टूबर सुबह 10:06 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए गंगाजल, दूध, हल्दी, चंदन, रोली, मेहंदी, फूलमाला, हरा चारा, गुड़-चने, घी का दीपक, अगरबत्ती और कृष्ण की मूर्ति की आवश्यकता होगी।
