गोपाष्टमी: गौ माता की पूजा का महत्व और विधि
श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें
गोपाष्टमी का त्योहार
हर वर्ष गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 30 अक्टूबर को आएगा। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें प्रिय भोग अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और बलराम को पहली बार गायों को चराने के लिए भेजा गया था।
इस दिन से श्री कृष्ण ने गोचारण लीला की शुरुआत की थी। धार्मिक दृष्टि से, इस दिन गौ माता और श्री कृष्ण की पूजा करने से भक्त को आशीर्वाद मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। यह पर्व मुख्य रूप से वृंदावन, ब्रज और मथुरा में धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि गोपाष्टमी पर गौ पूजा कैसे करें और इसके नियम क्या हैं।
पूजा एवं सेवा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर गौ माता को स्नान कराएं।
- पूजा स्थल को गोबर, फूलों, दीपक और रंगोली से सजाएं।
- मंदिर में गौ माता और श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
- गौ माता के माथे पर रोली और चंदन लगाएं, पुष्प अर्पित करें।
- उनके खुरों पर हल्दी और तेल लगाकर आरती करें। इसके बाद गाय की परिक्रमा करें।
- गोपाल गोविंद जय जय और गोमाता की जय मंत्र का जाप करें।
- गाय को हरी घास, चारा और गुड़ खिलाएं।
जानें कैसे करें पूजा
- यदि आपके घर में गाय नहीं है, तो आप मंदिर में गौ माता की प्रतिमा स्थापित करके पूजा कर सकते हैं।
- गौशाला जाकर गाय की सेवा करना भी एक अच्छा विकल्प है।
- गौशाला में गायों को भोजन कराएं, दान दें और उनकी देखभाल करें।
- अपनी क्षमता के अनुसार गौ सेवा करें, इससे श्री कृष्ण प्रसन्न होंगे।
- यदि गौशाला नहीं है, तो आस-पास की गायों की सेवा भी कर सकते हैं।
गौ सेवा के लाभ
मान्यता है कि गोपाष्टमी पर की गई गौ सेवा से पापों से मुक्ति मिलती है। इससे परिवार में शांति, आर्थिक सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जिनके जीवन में कई बाधाएं आती हैं और मानसिक तनाव रहता है। जो भी भक्त सच्चे मन से गौ माता की सेवा करता है, उसे श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
