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गोपाष्टमी: पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

गोपाष्टमी का पर्व आज मनाया जा रहा है, जिसमें भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त और योग का विवरण जानें। जानें कैसे भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के अहंकार को तोड़ा। इस पर्व पर पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है।
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गोपाष्टमी: पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा का पर्व


गोपाष्टमी का महत्व
आज कार्तिक मास की अष्टमी तिथि है, जब गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटना से जुड़ा हुआ है। आज के दिन रवि योग और शिववास योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं।


इंद्र की हार और गोवर्धन पूजा

सनातन शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने स्वर्ग नरेश इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने सात दिनों तक रहकर इंद्र को पराजित किया। कार्तिक माह की अष्टमी तिथि पर इंद्र ने हार मान ली थी।


गोपाष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों के अनुसार, आज के दिन रवि योग का संयोग सुबह 06:33 बजे से शुरू हो रहा है और यह 31 अक्टूबर को सुबह 06:32 बजे समाप्त होगा। इस योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है।


शिववास योग का महत्व

गोपाष्टमी के दिन शिववास योग का भी संयोग है, जो बेहद दुर्लभ माना जाता है। यह योग सुबह 10:06 बजे से शुरू होगा। इस समय भगवान शिव देवी पार्वती के साथ कैलाश पर रहेंगे। इस दौरान पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।


पंचांग विवरण


  • सूर्योदय: सुबह 06:32 बजे

  • सूर्यास्त: शाम 05:37 बजे

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:48 से 05:40 बजे तक

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 01:55 से 02:40 बजे तक

  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:37 से 06:03 बजे तक

  • अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:42 से 12:27 बजे तक