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गोपाष्टमी पूजा विधि: इस तरह करें विशेष पूजा

गोपाष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण और गायों की पूजा के लिए समर्पित है। इस लेख में गोपाष्टमी की पूजा विधि, आवश्यक सामग्री और मंत्रों का जाप करने का तरीका बताया गया है। जानें कैसे इस दिन को विशेष बनाएं और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करें।
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गोपाष्टमी पूजा विधि: इस तरह करें विशेष पूजा

गोपाष्टमी का महत्व


हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है गोपाष्टमी


गोपाष्टमी का पर्व सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है और इसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त गायों और बछड़ों की पूजा करते हैं, क्योंकि ये भगवान कृष्ण के प्रिय हैं। गोपाष्टमी मुख्य रूप से मथुरा, वृन्दावन और ब्रज क्षेत्र में धूमधाम से मनाई जाती है।


पूजा विधि


  • भक्तों को सुबह जल्दी उठकर पूजा की तैयारी करनी चाहिए और घर की सफाई करनी चाहिए।

  • स्नान के बाद, भगवान कृष्ण और गौ माता की प्रतिमा स्थापित करें।

  • गंगाजल से स्नान कराएं।

  • कुमकुम और गोपी चंदन से तिलक करें।

  • देसी घी का दीपक जलाएं।

  • फल, फूल, तुलसी पत्र और घर में बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।

  • वैदिक मंत्रों का जाप करें और श्री कृष्ण के साथ गौ माता की पूजा करें।

  • जो भक्त गाय रखते हैं, वे पहले उन्हें स्नान कराएं और हल्दी, रोली, फूल और घंटियों से सजाएं।

  • फिर उन्हें हरी घास, रोटी और गुड़ खिलाएं।

  • गाय न रखने वाले भक्त गौशाला जाकर गायों की सेवा कर सकते हैं।

  • शाम को भी भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा करें।

  • भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करें।


गोपाष्टमी पर मंत्रों का जाप

1. सुरभि त्वं जगन्मातदेर्वी विष्णुपदे स्थिता, सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस,


तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते, मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी!!


2. सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातर:।


गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्।।