गोपाष्टमी व्रत: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
गोपाष्टमी व्रत, जो गोमाता की पूजा और सेवा का पर्व है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान कृष्ण और गाय की पूजा की जाती है, जिससे सभी कष्ट दूर होते हैं। जानें गोपाष्टमी का महत्व, पूजा विधि और 2025 का शुभ मुहूर्त। इस दिन विशेष उपाय करने से धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
| Oct 30, 2025, 10:24 IST
गोपाष्टमी व्रत का महत्व
आज गोपाष्टमी का व्रत मनाया जा रहा है, जिसमें गोमाता की पूजा और सेवा को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण और गाय के प्रति समर्पित है। इस अवसर पर भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान गाय और उसके बछड़ों को सजाया जाता है। आइए, हम आपको गोपाष्टमी व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में जानकारी देते हैं।
गोपाष्टमी व्रत के बारे में जानें
हिंदू धर्म के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गोपूजा और गोसेवा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मान्यता है कि गोमाता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया था। इस दिन इंद्र ने अपनी हार स्वीकार की थी।
गोपाष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अक्टूबर 2025, बुधवार को प्रात: 09:23 बजे प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर, गुरुवार को 10:06 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, गोपाष्टमी का पर्व 30 अक्टूबर 2025 को मनाना उचित रहेगा। इस दिन सूर्योदय के बाद 10:06 बजे तक पूजा करना उत्तम रहेगा।
गोपाष्टमी पर गोमाता की पूजा कैसे करें
हिंदू मान्यता के अनुसार, गोपाष्टमी के दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। इस दिन स्नान-ध्यान के बाद गोमाता को प्रणाम करके आशीर्वाद लेना चाहिए। फिर गाय को स्नान कराकर उनकी सफाई करें। इसके बाद गोमाता के शरीर को सुखाकर उनके सींग पर काले रंग का रंग लगाएं। फिर हल्दी, चंदन, और रोली से तिलक करें और उन्हें फल-फूल, धूप-दीप अर्पित करें। पूजा के अंत में उनकी आरती करना न भूलें।
गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व
गोपाष्टमी का पर्व गोसेवा के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है। मथुरा, वृन्दावन और पूरे ब्रजमंडल में लोग इस दिन गोसेवा और गोपूजा करते हैं। मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने इंद्र का अभिमान तोड़ा था, तब इंद्र ने गोपाष्टमी के दिन अपनी हार स्वीकार की थी।
गोपाष्टमी का शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन रवि और शिववास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। गोपाष्टमी पर्व 2025 में 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
गोपाष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब इंद्र ने गोपाष्टमी के दिन अपनी हार स्वीकार की थी। इस दिन गायों और बछड़ों की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गाय माता को स्नान कराकर उनका श्रृंगार करना चाहिए।
गोपाष्टमी के दिन करें ये उपाय
गोपाष्टमी के दिन विभिन्न शुभ फलों की प्राप्ति के लिए कुछ विशेष उपाय करें। यदि आप धन में वृद्धि चाहते हैं, तो 1 साबुत हल्दी और 5 सफेद कौड़ियां लेकर गाय के माथे से छुआकर घर में रखें। इससे धन में वृद्धि होगी। पारिवारिक समस्याओं के समाधान के लिए गाय माता को रोली का तिलक लगाएं और रोटी पर थोड़ी खीर रखकर खिलाएं। इसके बाद दुर्गा जी के मंत्र का जप करें। इस दिन ऐसा करने से पारिवारिक समस्याओं का समाधान होगा।
