गोवर्धन पूजा: आवश्यक सामग्री और विधि

भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें
Govardhan Puja samagri, नई दिल्ली: पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन गिरिराज महाराज की पूजा करने से धन, संतान और गौ रस में वृद्धि होती है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व बुधवार, 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को घनघोर वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण किया था। इस घटना के कारण गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल और बरसाना में धूमधाम से मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त: सुबह 6:26 बजे से रात 8:42 बजे तक
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक
पूजा साम्रगी
गोवर्धन पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं: गाय का गोबर (गिरिराज महाराज बनाने के लिए), कलश, रोली, घी, फूल, फूल माला, नारियल, चावल, दीपक, गंगाजल, मिठाई, फल, खीर, दूध, दही, शहद और बताशे।
पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन पहले उस स्थान को अच्छे से साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। वहां साफ कपड़ा बिछाएं, जहां गिरिराज महाराज बनाए जाएंगे। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं और शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। सबसे पहले दीपक जलाएं और भगवान कृष्ण तथा गोवर्धन पर्वत की आराधना करें। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल आदि अर्पित करें।
गोवर्धन जी की नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रखें और उसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद और बताशे डालें। पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटें। अंत में गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा करें और आरती करें।
विशेष कार्य
गोवर्धन पूजा के दिन कृषि में उपयोग होने वाले पशुओं जैसे गाय और बैल की भी पूजा की जाती है। इस दिन अन्नकूट के लिए विशेष रूप से कढ़ी-चावल बनाए जाते हैं। भोग में पंचामृत और माखन-मिश्री भी शामिल किया जाता है।