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गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का महत्व: जानें तिथि और विधि

22 अक्तूबर को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का पर्व मनाया जा रहा है, जिसमें गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है और विपत्तियों से रक्षा का प्रतीक है। इस लेख में गोवर्धन पूजा के पौराणिक महत्व और विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
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गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का महत्व: जानें तिथि और विधि

गोवर्धन पूजा का पर्व

आज, 22 अक्तूबर को अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया जा रहा है। इस दिन विशेष रूप से गौवंश की पूजा की जाती है। हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का आयोजन होता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के नए अन्न से अन्नकूट तैयार कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस पर्व में कामधेनु रूपी गाय की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों में गायों को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है, जो सुख, समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक है। गोवर्धन पूजा का उद्देश्य विपत्तियों से रक्षा करना भी है। आइए, गोवर्धन पूजा की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं...


शुभ तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। 21 अक्तूबर 2025 की शाम 05:54 बजे से प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 22 अक्तूबर की रात 08:16 बजे इस तिथि का समापन होगा। हिंदू धर्म में बड़े पर्व उदयातिथि के अनुसार मनाए जाते हैं, इसलिए गोवर्धन पूजा 22 अक्तूबर 2025 को मनाई जाएगी।


पौराणिक महत्व

जब भी श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन की यात्रा करते हैं, तो वे गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा अवश्य करते हैं। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है और गोवंश के महत्व को दर्शाता है। जब ब्रजवासियों पर संकट आया था और इंद्रदेव की मूसलधार बारिश के कारण बाढ़ का खतरा उत्पन्न हुआ, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को सुरक्षित किया। तभी से गोवर्धन पूजा का यह प्रतीकात्मक आयोजन किया जाता है।


पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण करें। फिर दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद फूल-माला अर्पित करें और धूप आरती करें। अंत में भगवान गोवर्धन का ध्यान करते हुए मंगलकामना करें।