गोवर्धन पूजा: महत्व और विधि
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, दिवाली के बाद मनाया जाता है। इस वर्ष यह 22 अक्टूबर को होगी। इस दिन विशेष पूजा की जाती है, जिसमें गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और भगवान श्री कृष्ण को अर्पित की जाती है। जानें इस पूजा की सामग्री और विधि के बारे में, ताकि आप भी इस पर्व को धूमधाम से मना सकें।
Oct 21, 2025, 15:44 IST
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गोवर्धन पूजा का महत्व
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। यह पूजा हिंदू पंचांग के अनुसार 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन, घरों में अन्नकूट तैयार किया जाता है और इसे भगवान श्री कृष्ण को समर्पित किया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन ब्रज क्षेत्र जैसे वृंदावन, मथुरा, और गोकुल में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने और इंद्र के गर्व को तोड़ने की कथा को याद दिलाता है। इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
गोवर्धन पूजा की सामग्री
पूजा सामग्री में शामिल हैं:
- गाय का गोबर
- श्रीकृष्ण की मूर्ति
- मिठाइयां
- खील बताशे
- पीली सींक
- कच्चा दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल
- मिट्टी का दीया
- धूप, अगरबत्ती और कपूर
- रोली
- हल्दी चंदन
- पानी का कलश
- तुलसी के पत्ते
- फल और फूल मालाएं
- दूर्वा घास और वस्त्र
गोवर्धन पूजा की विधि
पूजा विधि इस प्रकार है:
- सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान को साफ करके लीप लें।
- शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं।
- इस आकृति के केंद्र में श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
- गोबर के पर्वत को फूल, पत्तियों, और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाएं।
- इसके पास घी का दीपक जलाएं।
- टीका लगाएं और खील खिलाएं।
- गोवर्धन पूजा की कथा पढ़ें और अंत में गोवर्धन महाराज की परिक्रमा करें।