चंपा षष्ठी: महत्व, तिथि और पूजा विधि
चंपा षष्ठी, जो हर साल मार्गशीर्ष मास की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, मातृ शक्ति और स्वास्थ्य से जुड़ी है। इस वर्ष यह पर्व 26 नवंबर 2025 को होगा। जानें इस दिन की पूजा विधि, तिथि और भगवान खंडोबा की विशेष पूजा के बारे में। इस लेख में चंपा षष्ठी के महत्व और इसके धार्मिक पहलुओं पर भी चर्चा की गई है।
| Nov 26, 2025, 11:39 IST
चंपा षष्ठी का महत्व
हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन मातृ शक्ति और स्वास्थ्य से संबंधित होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और परिवार को स्वास्थ्य लाभ होता है। दक्षिण भारत में इसे स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है, जहां भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस वर्ष चंपा षष्ठी का व्रत 26 नवंबर 2025 को होगा। आइए, इस पर्व की तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं...
तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चंपा षष्ठी 26 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। षष्ठी तिथि की शुरुआत 25 नवंबर 2025 की रात 10:55 बजे से होगी और यह 26 नवंबर को समाप्त होगी। इस दौरान भक्तजन व्रत और भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके पूजा का संकल्प लें। फिर भगवान कार्तिकेय को हल्दी और कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद फल, फूल, नारियल और प्रसाद चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें। महाराष्ट्र में खंडोबा की प्रार्थनाएं भी की जाती हैं। पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए और पूरे दिन व्रत का पालन करें।
भगवान खंडोबा की पूजा
भारत के विभिन्न हिस्सों में भगवान शिव की पूजा कई लोक-रूपों में होती है। इनमें से एक प्रमुख रूप भगवान खंडोबा का है, जिन्हें रक्षक देवता और ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। हर साल अगहन माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर उनकी जयंती श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है। हालांकि यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन कर्नाटक और महाराष्ट्र में इसकी विशेष आस्था और लोकप्रियता है।
