छठ महापर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू

छठ पर्व का महत्व और सरकारी पहल
छठ पर्व बिहार और उसके आस-पास के क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व मनाने वाले लोग, विशेषकर बिहार के निवासी, इस अवसर पर अपने घर लौटने का प्रयास करते हैं। इस बार छठ मनाने वालों के लिए एक अच्छी खबर आई है। भारत सरकार ने छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है.
संस्कृति मंत्रालय ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में संयुक्त अरब अमीरात, सूरीनाम और नीदरलैंड्स के वरिष्ठ राजनयिकों के साथ एक बैठक आयोजित की। इस बैठक की अध्यक्षता संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने की, जिसमें विदेश मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी और आईजीएनसीए के अधिकारी भी शामिल थे.
विदेशी प्रतिनिधियों ने छठ पर्व के महत्व को स्वीकार करते हुए नामांकन प्रक्रिया में सहयोग देने का आश्वासन दिया। इसके बाद सचिव (संस्कृति) ने मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड्स में भारतीय राजदूतों और उच्चायुक्तों के साथ वर्चुअल चर्चा की, जिसमें समुदायों की पहचान और डेटा उपलब्ध कराने पर सहमति बनी.
यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित है और इसे बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय भी इसे मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड्स में धूमधाम से मनाते हैं। यह पर्व प्रकृति के प्रति श्रद्धा, पर्यावरणीय संतुलन, सामाजिक समानता और सामुदायिक एकता का प्रतीक है. छठ महापर्व का बहुराष्ट्रीय नामांकन 2026-27 के लिए प्रस्तावित है, जो भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस धरोहर को सुरक्षित रखेगा.
छठ पर्व में लोग उगते हुए सूर्य को प्रणाम करते हैं, लेकिन इसकी शुरुआत डूबते हुए सूर्य की आराधना से होती है। 'छठ' संस्कृत के 'षष्ठी' शब्द से निकला है, जिसका अर्थ 'छः' होता है, इसलिए यह त्योहार चंद्रमा के आरोही चरण के छठे दिन, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है, और मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन की जाती है.