छोटी दिवाली: काली चौदस का महत्व और पूजा विधि
19 अक्टूबर को मनाई जाने वाली छोटी दिवाली, जिसे काली चौदस भी कहा जाता है, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। जानें इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में। पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था, जिससे देवलोक में शांति लौट आई।
Oct 19, 2025, 10:29 IST
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छोटी दिवाली का पर्व
आज, 19 अक्टूबर को, देशभर में छोटी दिवाली का उत्सव मनाया जा रहा है। इसे रूप चौदस, नरक चतुर्दशी और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा की जाती है, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इसलिए, यम दीपक जलाना इस दिन शुभ माना जाता है। काली चौदस का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी जोड़ा जाता है। आइए, काली चौदस की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं...
तिथि और मुहूर्त
छोटी दिवाली पर चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे से प्रारंभ होगी और इसका समापन 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे होगा।
काली चौदस का शुभ मुहूर्त रात 11:41 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर की अर्धरात्रि 12:31 बजे तक रहेगा। इस समय मां काली की पूजा-अर्चना की जाती है।
महत्व
नरक चतुर्दशी को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे यम चतुर्दशी, रूप चौदस, और छोटी दीवाली। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, दीपक जलाते हैं और भगवान यमराज की पूजा करते हैं, ताकि मृत्यु और पापों का भय दूर हो सके। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और अपने परिवार में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वारका युग में नरकासुर नामक एक दुष्ट राक्षस था, जिसे वरदान मिला था कि पृथ्वी मां के अलावा उसका कोई वध नहीं कर सकता। इस घमंड में वह देवताओं, ऋषियों और स्वर्ग की अप्सराओं को परेशान करने लगा। उसके अत्याचारों से देवलोक भयभीत हो गया। सभी देवता और ऋषि भगवान श्रीकृष्ण के पास मदद के लिए पहुंचे। श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर के खिलाफ युद्ध किया। नरकासुर का अंत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ। इस दिन लोगों ने दीप जलाए, मिठाई बांटी और उत्सव मनाया।