जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: अधूरी मूर्ति की रहस्य कथा

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
पुरी, ओडिशा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो भगवान जगन्नाथ के भव्य मंदिर के लिए विश्वभर में जाना जाता है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु रथ यात्रा के दौरान दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि, पुरी केवल जगन्नाथ मंदिर तक सीमित नहीं है; यहां कई अन्य प्राचीन और पवित्र मंदिर भी हैं जो आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र की मूर्तियों को रथ पर स्थापित किया जाता है, और पूरे शहर में उनकी यात्रा निकाली जाती है। कहा जाता है कि इनकी पूजा से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
अधूरी मूर्ति की कहानी
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को कई हिंदू पूर्णता का प्रतीक मानते हैं। उनकी बड़ी आंखें पूरे ब्रह्मांड को देखती हैं, लेकिन उनकी मूर्ति अन्य देवताओं की मूर्तियों की तुलना में अधूरी है। जगन्नाथ पुरी में, देवताओं के पास केवल बड़े गोल चेहरे हैं, लेकिन कोई स्पष्ट शरीर नहीं है।
इस अधूरी मूर्ति के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। राजा इंद्रद्युम्न ने दिव्य मूर्तिकार विश्वकर्मा से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां बनाने का अनुरोध किया। विश्वकर्मा ने सहमति दी, लेकिन कहा कि जब तक मूर्तियां पूरी नहीं होतीं, किसी को भी उन्हें देखने की अनुमति नहीं होगी। दुर्भाग्यवश, रानी ने दरवाजा खोल दिया और देखा कि मूर्तियां गायब थीं, केवल भगवान जगन्नाथ का चेहरा अधूरा रह गया।
भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा
उड़ीसा और वैष्णव परंपरा के अनुयायियों के लिए भगवान जगन्नाथ एक प्रिय देवता हैं। वे उनके बेटे, पिता, बड़े भाई और रक्षक हैं। जबकि गैर-हिंदुओं को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है, रथ यात्रा के दौरान सभी को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के साथ रहने का अवसर मिलता है।