जन्माष्टमी 2025: व्रत के नियम और पारण का सही समय

जन्माष्टमी 2025 का पर्व
जन्माष्टमी 2025 व्रत: हर साल देशभर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन कृष्ण जी की पूजा में व्यस्त रहते हैं और व्रत रखते हैं। कुछ लोग इस अवसर पर निर्जला व्रत करते हैं, जबकि अन्य फलाहार उपवास का पालन करते हैं। जन्माष्टमी का व्रत पूरे दिन चलता है, और इसका पारण रात 12 बजे कृष्ण जी को भोग अर्पित करने के बाद किया जाता है। इस वर्ष, जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए?
जन्माष्टमी के व्रत में भक्त सूखे मेवे, ताजे फल, लस्सी, दूध, नारियल पानी, साबूदाने की खीर, आलू, समा के चावल, कुट्टू के आटे की पूड़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खा सकते हैं।
जन्माष्टमी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?
इस व्रत के दौरान चावल, शकरकंद के पकौड़े, साबुदाने की टिक्कियां, गाजर, लौकी, चुकंदर, मसूर की दाल, नमक, रिफाइंड शुगर, अनाज (जैसे गेहूं और बाजरा), चने की दाल, तूर की दाल, चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए।
जन्माष्टमी का व्रत किस समय तोड़ना चाहिए?
जो भक्त 16 अगस्त 2025 को व्रत रखेंगे, वे रात में उपवास का पारण कर सकते हैं। कान्हा जी की पूजा के बाद, प्रात: 12 बजकर 47 मिनट के बाद व्रत तोड़ना शुभ रहेगा। कुछ भक्त अगले दिन सूर्योदय के बाद भी व्रत का पारण करते हैं, जिसमें 17 अगस्त 2025 को सुबह 05 बजकर 51 मिनट के बाद का समय शुभ माना जाता है।
किस चीज को खाकर व्रत खोलना चाहिए?
जन्माष्टमी का व्रत उन्हीं चीजों को खाकर खोलना चाहिए, जिन्हें पूजा के दौरान कृष्ण जी को अर्पित किया जाता है। इस दिन फल, दूध, पंचामृत, मक्खन और पंजीरी का भोग लगाना शुभ होता है। कृष्ण प्रसाद खाने के बाद, आप साबूदाना की खिचड़ी, खीर या सात्विक भोजन कर सकते हैं।