जितिया व्रत की आरती: संतान की लंबी उम्र के लिए विशेष भक्ति

जितिया व्रत आरती: अपने बच्चे की लंबी उम्र के लिए पढ़ें ये विशेष लिरिक्स
जितिया व्रत खासकर सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने बच्चों की दीर्घायु और सुखद जीवन की कामना करती हैं। यह पवित्र पर्व आश्विन कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से आरंभ होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है।
इस अवसर पर महिलाएं 24 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं और शाम के शुभ समय में जितिया की पूजा करती हैं। इस पूजा में जितिया की आरती का विशेष महत्व है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए, जानते हैं जितिया व्रत की आरती के लिरिक्स और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
जितिया व्रत और जीमूतवाहन की कथा
जितिया व्रत की पूजा जीमूतवाहन की पौराणिक कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। यह कथा भक्ति और बलिदान की भावना को दर्शाती है, जो इस व्रत को और भी खास बनाती है। महिलाएं इस कथा को सुनकर और आरती गाकर अपने बच्चों के लिए मंगल कामना करती हैं।
जितिया की आरती
जितिया की आरती के लिरिक्स न केवल भक्ति से भरे हैं, बल्कि इन्हें गाने से मन को शांति भी मिलती है। नीचे दिए गए लिरिक्स को पढ़ें और पूजा में शामिल करें:
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
ओम जय कश्यप..
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
ओम जय कश्यप..
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
ओम जय कश्यप..
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
ओम जय कश्यप..
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
ओम जय कश्यप..
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
ओम जय कश्यप..
जितिया व्रत का मंत्र
जितिया व्रत के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है। इसे पूजा के समय अवश्य शामिल करें:
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
जितिया आरती का समय
जितिया की आरती सुबह और शाम के समय की जाती है, लेकिन प्रदोष काल (शाम का समय) की आरती को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह आरती जितिया की कथा सुनने के बाद की जाती है, जो पूजा को पूर्णता प्रदान करती है।