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जितिया व्रत: जानें पूजा विधि और नियम

जितिया व्रत एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं। यह पर्व विशेष रूप से नेपाल और भारत के कुछ राज्यों में मनाया जाता है। जानें इस व्रत की पूजा विधि, नियम और क्या करना चाहिए और क्या नहीं। 14 सितंबर को मनाए जाने वाले इस व्रत के दौरान विशेष ध्यान देने योग्य बातें हैं।
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जितिया व्रत: जानें पूजा विधि और नियम

जितिया व्रत का महत्व


जानें पूजा विधि और नियम
जितिया व्रत एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए निर्जला उपवास करती हैं। यह पर्व हर साल बिक्रम संवत के आश्विन माह में कृष्ण पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक मनाया जाता है। यह विशेष रूप से नेपाल के मिथिला क्षेत्र और भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।


इस साल, जितिया व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा। इस व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है।


जितिया व्रत में क्या करें


  • नहाय-खाय: व्रत का पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं और सात्विक भोजन का सेवन करती हैं, जिसमें मरुवा की रोटी और नोनी का साग शामिल होता है।

  • निर्जला व्रत: व्रत का मुख्य दिन खुर-जितिया कहलाता है, जिसमें महिलाएं पूरी तरह से निर्जला उपवास करती हैं। यह उपवास सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण तक चलता है।

  • शाम की पूजा: दूसरे दिन, महिलाएं शाम को जितिया देवी की पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं।

  • तर्पण: व्रत के दौरान कुश से बने जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। कुछ महिलाएं जीमूतवाहन को अर्पित करने के लिए नदी या तालाब में तर्पण भी करती हैं।

  • पारण: व्रत का पारण तीसरे दिन किया जाता है, जिसमें झींगा मछली और मडुआ रोटी खाने का रिवाज है। ऐसा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।

  • दान: व्रत समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान किया जाता है।



जितिया व्रत में क्या न करें


  • अन्न-जल का सेवन: व्रत के दूसरे दिन महिलाएं अन्न और जल का त्याग करती हैं। इस दिन पानी की एक बूंद भी नहीं पीनी चाहिए।

  • तामसिक भोजन: जितिया व्रत के दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • नकारात्मकता से दूर रहें: इस दौरान लड़ाई-झगड़े और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।

  • अनजाने में गलती: यदि गलती से कुछ खा लिया जाए, तो तुरंत मां से क्षमा मांगनी चाहिए और अगले साल व्रत को विधिपूर्वक करने का संकल्प लेना चाहिए।

  • किसी का अपमान करना: व्रत के दौरान किसी भी व्यक्ति, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों का अपमान नहीं करना चाहिए। यह व्रत प्रेम, दया और त्याग का प्रतीक है।