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जितिया व्रत: माताओं के लिए विशेष उपवास की विधि और नियम

जितिया व्रत माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस उपवास की विधि और नियमों को जानकर आप भी इसे श्रद्धा के साथ कर सकते हैं। जानें इस व्रत की पूरी प्रक्रिया और इसके पीछे का महत्व।
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जितिया व्रत: माताओं के लिए विशेष उपवास की विधि और नियम

जितिया व्रत: माताओं के लिए विशेष उपवास

जितिया व्रत: माताओं के लिए विशेष उपवास की विधि और नियम: नई दिल्ली: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत मनाया जाता है। इस वर्ष यह महत्वपूर्ण दिन 14 सितंबर 2025 को आएगा। यह व्रत माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए रखा जाता है।


इस उपवास को श्रद्धा और कठोर नियमों के साथ किया जाता है। व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय की रस्म होती है, जिसके बाद माताएं अगले दिन निर्जल और निराहार उपवास रखती हैं। इस दौरान भगवान जिमूतवाहन, चील-सियार और कुलदेवता की पूजा की जाती है। रात में पारंपरिक जिउतिया गीत गाए जाते हैं। आइए, जानते हैं जितिया व्रत और पूजा की विधि।


जितिया पूजा की विधि

जितिया व्रत के दिन, महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर ओंगठन की रस्म निभाती हैं। इस रस्म के बाद ही व्रत की शुरुआत होती है। मुख्य पूजा प्रदोष काल में की जाती है। पूजा स्थल को गोबर से लीपकर या गंगाजल छिड़ककर शुद्ध किया जाता है।


इसके बाद वहां एक छोटा तालाब बनाया जाता है और पास में पाकड़ की डाल रखी जाती है। तालाब के पानी में कुशा से बनी भगवान जिमूतवाहन की मूर्ति स्थापित की जाती है। साथ ही मिट्टी और गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां बनाई जाती हैं। फिर विधि-विधान से पूजा होती है। पूजा के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है और अंत में आरती कर भोग लगाया जाता है।


जितिया व्रत के नियम

जितिया व्रत से एक दिन पहले, यानी सप्तमी तिथि को, व्रती महिलाएं खुरचन (सात तरह के अनाज से बना विशेष भोजन) खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। इसे नहाय-खाय कहा जाता है। अगले दिन, अष्टमी को सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है।


इस दिन महिलाएं बिना पानी और भोजन के उपवास रखती हैं। शाम को जितिया की कथा सुनी जाती है। रात में जागरण होता है, जिसमें पारंपरिक जिउतिया गीत गाए जाते हैं। अगले दिन सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। पारण के समय महिलाएं भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाकर व्रत खोलती हैं।


जितिया व्रत माताओं के लिए एक पवित्र और भावनात्मक अनुष्ठान है, जो बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए किया जाता है। इसकी पूरी विधि और नियमों को अपनाकर आप भी इस व्रत को श्रद्धापूर्वक पूरा कर सकते हैं।