जोधपुर में अनोखी खाने योग्य राखी का निर्माण

रक्षाबंधन का खास त्योहार
रक्षाबंधन: यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं। हालांकि, जोधपुर के कुशल कारीगरों ने इस बार कुछ नया पेश किया है। यहां एक मिठाई की दुकान पर ऐसी राखियां बनाई गई हैं, जिन्हें पहनने के बाद भाई खा भी सकते हैं।
खाने योग्य राखी की विशेषताएं
राजस्थान के जोधपुर में बनाई गई ये मिठाई से भरी राखियां खोये और मेवों से तैयार की गई हैं। इन पर बर्फी जैसे रंग-बिरंगे पेड़े सजाए गए हैं, जो देखने में बेहद आकर्षक हैं। इन राखियों के डिजाइन में फूलों के खूबसूरत पैटर्न भी शामिल हैं। इस दुकान पर विभिन्न प्रकार की खाने योग्य राखियां उपलब्ध हैं, जिनका रंग, स्वाद और डिजाइन अलग-अलग हैं।
राखी बनाने की विधि
- इन राखियों को खोया, ड्राई फ्रूट्स और चॉकलेट से तैयार किया जाता है।
- कुछ राखियों में चांदी का वर्क भी लगाया जाता है, जिससे वे और भी सुंदर दिखें।
- इन मिठाई वाली राखियों को स्वच्छता के मानकों का पालन करते हुए बनाया जाता है, ताकि खाने में कोई समस्या न हो।
पर्यावरण के अनुकूल राखी
जोधपुर में बनी ये राखियां बायोडिग्रेडेबल हैं, इसलिए इन्हें फेंकने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है।
लखनऊ में भी इको-फ्रेंडली राखी
यूपी की राजधानी लखनऊ में भी इस साल रक्षाबंधन पर कुछ नया किया गया है। यहां नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट में फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल राखियों का निर्माण किया गया है, जिन्हें पहनने के बाद पौधों में डाला जा सकता है। इसके बीजों से नए पौधे उगेंगे। इन राखियों में किसी भी प्रकार के रसायन या प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया है।