दलाई लामा का 90वां जन्मदिन: उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया पर नई जानकारी

दलाई लामा का महत्वपूर्ण ऐलान
Dalai Lama: तिब्बती बौद्ध समुदाय के लिए यह वर्ष विशेष महत्व रखता है, क्योंकि उनके आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपना 90वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर, उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के चयन के बारे में एक महत्वपूर्ण घोषणा की। धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में, उन्होंने स्पष्ट किया कि दलाई लामा की परंपरा उनके बाद भी जारी रहेगी, अर्थात् एक नया दलाई लामा अवश्य होगा।
दुनिया भर में उत्सुकता
इस घोषणा के बाद, वैश्विक बौद्ध समुदाय में अगली दलाई लामा की पहचान और चयन प्रक्रिया को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। यह केवल धार्मिक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि चीन, अमेरिका और भारत जैसे देशों की भी इस पर नजर है। इसका कारण यह है कि इस निर्णय का राजनीतिक प्रभाव भी होगा।
उत्तराधिकारी चयन की परंपरा
क्या है दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की परंपरा?
परंपरागत रूप से, नए दलाई लामा का चयन तब शुरू होता है जब वर्तमान दलाई लामा का निधन होता है। बौद्ध भिक्षु विशेष संकेतों, स्वप्नों और धार्मिक चिन्हों के माध्यम से नए अवतार की खोज करते हैं। चयन प्रक्रिया में यह देखा जाता है कि बच्चा पिछले दलाई लामा की वस्तुओं को पहचानता है या नहीं। इसके बाद, उसे प्रशिक्षण देकर आधिकारिक रूप से 'दलाई लामा' की उपाधि दी जाती है।
क्या इस बार कुछ नया होगा?
क्या इस बार कुछ बदलेगा?
14वें दलाई लामा ने स्वयं कहा है कि वे उत्तराधिकारी के चयन के लिए और दिशा-निर्देश प्रदान कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह परंपरा में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा, क्योंकि पहले कभी भी जीवित दलाई लामा ने उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया को निर्देशित नहीं किया।
चीन, भारत और अमेरिका की रुचि
क्यों है चीन, भारत और अमेरिका की दिलचस्पी?
- चीन चाहता है कि अगला दलाई लामा उसकी इच्छानुसार चुना जाए ताकि तिब्बत पर उसका नियंत्रण बना रहे।
- अमेरिका ने बार-बार चीन से कहा है कि वह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करे और दलाई लामा की परंपरा का सम्मान करे।
- भारत, जहां दलाई लामा निवास करते हैं, धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार है, इसलिए भारत की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
दलाई लामा का उत्तराधिकारी
दलाई लामा का उत्तराधिकारी केवल एक धार्मिक नेता नहीं होगा, बल्कि वह तिब्बती पहचान, स्वतंत्रता और चीन के प्रभाव के बीच संतुलन का प्रतीक भी होगा। इसलिए, पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर हैं कि अगला दलाई लामा कौन होगा और किस प्रक्रिया से चुना जाएगा।