दशहरा: अच्छाई की बुराई पर विजय का पर्व

दशहरा का महत्व
भारत एक ऐसा देश है जो विविधताओं से भरा हुआ है, जहाँ विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं। यहाँ साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं, जो न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी हैं। इनमें से एक प्रमुख त्योहार दशहरा है, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और भारतीय संस्कृति में इसका विशेष स्थान है। दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विजयादशमी का अर्थ है "विजय प्राप्त करने वाला दसवाँ दिन"। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके बंदीगृह से मुक्त किया था। यह पर्व यह संदेश देता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। यह त्योहार लोगों को नैतिक मूल्यों, सत्य, और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
दशहरा का नाम और अर्थ
दशहरा शब्द हिंदी के दो शब्दों 'दस' और 'हारा' से मिलकर बना है। 'दस' का अर्थ है दस (10) और 'हारा' का अर्थ है पराजित। इसलिए, जब इन दोनों शब्दों को जोड़ा जाता है, तो दशहरा बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब भगवान राम ने दस सिर वाले रावण का वध किया। दशहरा या विजयादशमी पर्व को भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाता है या दुर्गा पूजा के रूप में। दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है। यह शस्त्र पूजन की तिथि है और हर्ष और उल्लास का पर्व है।
दशहरा का उत्सव
दशहरा भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसी दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक रावण का संहार किया था और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं और शस्त्र-पूजा की जाती है। जगह-जगह मेले लगते हैं और रामलीला का समापन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है।
दशहरा का सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति वीरता की पूजा करती है। दशहरे का उत्सव इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति और समाज में वीरता का संचार हो। भारत एक कृषि प्रधान देश है, और जब किसान अपनी फसल उगाकर अनाज घर लाता है, तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता। इस खुशी के लिए वह भगवान की कृपा को मानता है और उनकी पूजा करता है। यह पर्व विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है।
विभिन्न राज्यों में दशहरा
बंगाल, ओडिशा और असम में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। बंगाल में दशहरा पूरे पांच दिनों तक मनाया जाता है। ओडिशा और असम में चार दिन तक यह त्योहार चलता है। यहां देवी दुर्गा को भव्य पंडालों में विराजमान किया जाता है। महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। कर्नाटक में मैसूर का दशहरा पूरे देश में प्रसिद्ध है, जहाँ शहर को रोशनी से सजाया जाता है।
दशहरा का समापन
गुजरात में गरबा नृत्य इस पर्व की शान है। तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में दशहरा नौ दिनों तक चलता है, जिसमें देवी लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा की जाती है। कश्मीर में नवरात्रि के पर्व को श्रद्धा से मनाया जाता है। परिवार के सभी सदस्य नौ दिनों तक उपवास करते हैं।