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दिल्ली में भाजपा का सांस्कृतिक नाम परिवर्तन अभियान

दिल्ली में भाजपा के विधायक इस्लामिक नामों को बदलकर भारतीय सांस्कृतिक नामों की मांग कर रहे हैं। नजफगढ़ और मुस्तफाबाद जैसे क्षेत्रों के नामों को बदलने की वकालत की जा रही है। हालांकि, इस पहल की आलोचना भी हो रही है, जिसमें इसे ध्रुवीकरण की राजनीति बताया गया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और भविष्य में क्या बदलाव संभव हैं।
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दिल्ली में भाजपा का सांस्कृतिक नाम परिवर्तन अभियान

भाजपा का सांस्कृतिक एजेंडा

भाजपा का सांस्कृतिक एजेंडा: दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के गठन के बाद, राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग एक बार फिर चर्चा में है। भाजपा के विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में 'इस्लामिक पहचान' वाले नामों को हटाकर उन्हें 'भारतीय सांस्कृतिक' मूल्यों से जोड़ने का समर्थन कर रहे हैं। इस मुहिम में नजफगढ़ से लेकर मुस्तफाबाद तक के नेता सक्रिय हैं।


स्थानीय सांस्कृतिक नामों की मांग

स्थानीय सांस्कृतिक के अनुसार बदलने की मांग

भाजपा विधायक अनिल जादौन ने नजफगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि 'नजफ' एक इस्लामिक नाम है, जो मुगलकालीन इतिहास से जुड़ा है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे 'नवग्रहपुर' या 'नवग्राम' के नाम से जाना जाना चाहिए। इसी तरह, मुस्तफाबाद के बारे में भाजपा विधायक जगदीश प्रधान ने कहा कि इसका नाम किसी सूफी संत या इस्लामिक प्रतीक से प्रेरित है, जिसे स्थानीय सांस्कृतिक नाम से बदलने की आवश्यकता है।


ऐतिहासिक न्याय की बात

नामों को हटाना ऐतिहासिक न्याय

यह मुद्दा केवल इन दो क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। दिल्ली के अन्य क्षेत्रों जैसे जाफराबाद, बाबरपुर, और हौज काजी के नामों को भी 'सांस्कृतिक दृष्टि से असंगत' बताया जा रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि जिन क्षेत्रों के नाम विदेशी आक्रांताओं के नाम पर रखे गए हैं, उन्हें हटाना ऐतिहासिक न्याय है।


राजनीतिक आलोचना

ध्रुवीकरण की राजनीति

हालांकि, इस पहल की आलोचना भी हो रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह 'ध्रुवीकरण की राजनीति' है और इससे दिल्ली की गंगा-जमुनी तहजीब को नुकसान होगा। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने इसे 'मूल मुद्दों से भटकाने वाला एजेंडा' बताया है।


भविष्य की संभावनाएँ

कई नामों का बदलाव संभव

भाजपा का कहना है कि जल्द ही इस मुद्दे पर एक औपचारिक प्रस्ताव तैयार किया जाएगा, जिसे दिल्ली नगर निगम और विधानसभा में पेश किया जाएगा। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो राजधानी के नक्शे में कई नामों का बदलाव संभव हो सकता है।