दिवाली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा: पौराणिक कथा और महत्व

दिवाली का पर्व और इसकी विशेषताएँ
लक्ष्मी गणेश दिवाली की कहानी: पूरे देश में दीपों का यह महापर्व दिवाली धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को आता है, और इस वर्ष यह 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और रात के शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। मान्यता है कि दिवाली की रात देवी लक्ष्मी उन घरों में आती हैं, जहां साफ-सफाई और विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साथ ही, भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है, ताकि व्यक्ति धन का सही उपयोग विवेक और बुद्धि के साथ कर सके। आइए जानते हैं कि माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा का महत्व क्या है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है।
लक्ष्मी-गणेश पूजा की पौराणिक कथा
महापुराण में एक कथा का उल्लेख है जिसमें माता लक्ष्मी को यह अहंकार हो गया था कि समस्त संसार केवल उनके आशीर्वाद का इच्छुक है। यह देखकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि, "हालांकि सभी तुम्हारे लिए व्याकुल हैं, लेकिन तुम्हारे पास संतान नहीं है, जिससे तुम अधूरी हो।"
भगवान विष्णु की बात सुनकर माता लक्ष्मी दुखी हो गईं और उन्होंने यह बात माता पार्वती को बताई। माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश जी को लक्ष्मी जी की गोद में बैठा दिया, और तभी से गणेश जी को माता लक्ष्मी का दत्तक पुत्र माना जाने लगा। इससे माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्होंने आशीर्वाद दिया कि अब से जहां मेरी पूजा होगी, वहां गणेश जी की पूजा भी अनिवार्य होगी।
विवेक और धन का संतुलन
दिवाली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा का एक और महत्वपूर्ण कारण यह है कि लक्ष्मी जी धन और समृद्धि की देवी हैं, जबकि भगवान गणेश को बुद्धि और विवेक का प्रतीक माना जाता है।
कहा जाता है कि केवल धन की प्राप्ति से व्यक्ति सफल नहीं होता, बल्कि उसे विवेक और बुद्धि के साथ धन का सही उपयोग करना आना चाहिए। इसलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के साथ-साथ गणेश जी की पूजा की जाती है, ताकि व्यक्ति घमंड से बचकर सद्बुद्धि के साथ अपने धन का सदुपयोग कर सके।
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व
धन और बुद्धि का संतुलन: धन के साथ विवेक आवश्यक है, इसलिए गणेश जी की पूजा अनिवार्य मानी गई है।
परिवार में सुख-शांति: संयुक्त पूजा से घर में स्थायी सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
पारंपरिक आस्था: सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा करने से जीवन में शुभता बनी रहती है।