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दीपावली पर रात में पूजा का महत्व: जानें क्यों है यह विशेष

दीपावली, जो प्रकाश और समृद्धि का पर्व है, रात में पूजा करने की विशेष परंपरा के लिए जाना जाता है। इस लेख में जानें कि क्यों दीपावली पर रात्रि में पूजा करना शुभ माना जाता है। प्रदोष काल का महत्व, पौराणिक कथाएँ, और अमावस्या की रात का सकारात्मक प्रभाव इस पर्व की विशेषता को और बढ़ाते हैं।
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दीपावली पर रात में पूजा का महत्व: जानें क्यों है यह विशेष

दीपावली: प्रकाश और समृद्धि का पर्व


दीपावली का महत्व
दीपावली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, और इस दिन घर, मंदिर और बाजार रोशनी से भरे होते हैं।


रात्रि पूजा की परंपरा

दीपावली पर रात्रि में पूजा करने की परंपरा धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जुड़ी हुई है। सामान्यतः माता लक्ष्मी की पूजा दिन में की जा सकती है, लेकिन इस विशेष दिन रात्रि में पूजा करना अधिक शुभ माना जाता है।


प्रदोष काल का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी पूजन का सही समय प्रदोष काल होता है, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि रात्रि का समय देवी लक्ष्मी को प्रिय है। दीपावली अमावस्या को आती है, जब चंद्रमा नहीं होता और रात का अंधकार गहरा होता है। इस समय दीप जलाने का महत्व और बढ़ जाता है।


दीप जलाने की परंपरा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम के अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने दीप जलाए थे। इसी कारण दीपावली पर रात में दीप जलाने और पूजा करने की परंपरा बनी।


अमावस्या की रात का सकारात्मक प्रभाव

माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। रात्रि में उनकी पूजा से घर में सुख और शांति का संचार होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या की रात विशेष सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।


रात्रि पूजा का वातावरण

रात्रि में पूजा करने का एक कारण यह भी है कि इस समय घर का वातावरण शांत होता है। दिन में व्यस्तता के कारण ध्यान केंद्रित करना कठिन होता है, जबकि रात में पूजा करना मानसिक शांति प्रदान करता है।


दीपावली की रात, घरों में दीप जलाकर, रंगोली बनाकर और विशेष पूजा सामग्री का उपयोग करके माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। इस समय घर और वातावरण शुद्ध माना जाता है, जिसका सकारात्मक प्रभाव सभी सदस्यों पर पड़ता है।